आंगन Poetry (page 5)

असीरान-ए-क़फ़स सेहन-ए-चमन को याद करते हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

तुम याद मुझे आ जाते हो

बहज़ाद लखनवी

रौनक़ फ़रोग़-ए-दर्द से कुछ अंजुमन में है

बेबाक भोजपुरी

ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर

बयान मेरठी

दवा बग़ैर कोई तिफ़्ल मर गया तो क्या हुआ

बाक़र नक़वी

कहीं सुब्ह-ओ-शाम के दरमियाँ कहीं माह-ओ-साल के दरमियाँ

बद्र-ए-आलम ख़लिश

कुछ नहीं होता शब भर सोचों का सरमाया होता है

अज़रक़ अदीम

उन्हें मुझ से शिकायत है

अज़रा नक़वी

हार-सिंगार

अज़रा नक़वी

ये हम पर लुत्फ़ कैसा ये करम क्या

अज़ीज़ वारसी

कूदे हैं उस के सेहन में दो-चार शेर-दिल

अज़ीज़ फ़ैसल

रह गया दीदा-ए-पुर-आब का सामाँ हो कर

अज़हर नक़वी

हरे दरख़्त का शाख़ों से रिश्ता टूट गया

अज़हर नैयर

वो जिस के सेहन में कोई गुलाब खिल न सका

अज़हर इनायती

ग़मों से यूँ वो फ़रार इख़्तियार करता था

अज़हर इनायती

आज शब-ए-मेराज होगी इस लिए तज़ईन है

औरंगज़ेब

आओ चलें उस खंडर में

असरा रिज़वी

ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल

असलम अंसारी

आओ तो मेरे सहन में हो जाए रौशनी

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

आ जाओ अब तो ज़ुल्फ़ परेशाँ किए हुए

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

हंगाम-ए-शब-ओ-रोज़ में उलझा हुआ क्यूँ हूँ

अशफ़ाक़ हुसैन

इक शख़्स अपने हाथ की तहरीर दे गया

असग़र राही

ये आस्तान-ए-यार है सेहन-ए-हरम नहीं

असग़र गोंडवी

यूँ न मायूस हो ऐ शोरिश-ए-नाकाम अभी

असग़र गोंडवी

शिकवा न चाहिए कि तक़ाज़ा न चाहिए

असग़र गोंडवी

आएँगे वो तो आप में हरगिज़ न आएँगे

अरशद अली ख़ान क़लक़

बाग़बाँ की बे-रुख़ी से नीले-पीले हो गए

आरिफ़ अंसारी

जब फ़स्ल-ए-बहाराँ आती है शादाब गुलिस्ताँ होते हैं

अनवर सहारनपुरी

दिन हो कि रात, कुंज-ए-क़फ़स हो कि सेहन-ए-बाग़

अंजुम रूमानी

दिन हो कि रात कुंज-ए-क़फ़स हो कि सेहन-ए-बाग़

अंजुम रूमानी

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