शमा Poetry (page 11)

सुबू पर जाम पर शीशे पे पैमाने पे क्या गुज़री

सीमाब अकबराबादी

रोज़-ए-फ़िराक़ हर तरफ़ इक इंतिशार था

सीमाब अकबराबादी

हुस्न के दिल में जगह पाते ही दीवाना बने

सीमाब अकबराबादी

छुपाता हूँ मगर छुपता नहीं दर्द-ए-निहाँ फिर भी

सीमाब अकबराबादी

हक़ीक़त ज़ीस्त की समझा नहीं है

सीमा शर्मा मेरठी

अब के अजब सफ़र पे निकलना पड़ा मुझे

सय्यद ताबिश अलवरी

इश्क़ है दरिया-ए-आतिश तैर कर जाने का नाम

सय्यद जहीरुद्दीन ज़हीर

नसीम है तिरे कूचे में और सबा भी है

मोहम्मद रफ़ी सौदा

मक़्दूर नहीं उस की तजल्ली के बयाँ का

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ले दीदा-ए-तर जिधर गए हम

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ग़ुंचे से मुस्कुरा के उसे ज़ार कर चले

मोहम्मद रफ़ी सौदा

बरहमन बुत-कदे के शैख़ बैतुल्लाह के सदक़े

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ऐ दीदा ख़ानुमाँ तू हमारा डुबो सका

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ऐ आह तिरी क़द्र असर ने तो न जानी

मोहम्मद रफ़ी सौदा

आराम फिर कहाँ है जो हो दिल में जा-ए-हिर्स

मोहम्मद रफ़ी सौदा

वक़्त के हाथों हिकायात-ए-अना भूल गए

सरवर आलम राज़

गर्दिश-ए-सय्यारगाँ ख़ूब है अपनी जगह

सरवत हुसैन

जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी

सरफ़राज़ शाहिद

उसी का जल्वा-ए-ज़ेबा है चाँदनी क्या है

सरीर काबिरी

डराएगी हमें क्या हिज्र की अँधेरी रात

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

नाला शब-ए-फ़िराक़ जो कोई निकल गया

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

ब-जुज़ साया तन-ए-लाग़र को मेरे कोई क्या समझे

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

यूँ अकेला दश्त-ए-ग़ुर्बत में दिल-ए-नाकाम था

साक़िब लखनवी

मिलता जो कोई टुकड़ा इस चर्ख़-ए-ज़बरजद में

साक़िब लखनवी

ग़श भी आया मिरी पुर्सिश को क़ज़ा भी आई

साक़िब लखनवी

पत्थर की नींद सोती है बस्ती जगाइए

समद अंसारी

कनार-ए-आब तिरे पैरहन बदलने का

सालिम सलीम

यक़ीन है कि वो मेरी ज़बाँ समझता है

सलीम शहज़ाद

बे-वज़्अ शब-ओ-रोज़ की तस्वीर दिखा कर

सलीम शाहिद

बुझ गई कुछ इस तरह शम्-ए-'सलाम'

सलाम मछली शहरी

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