शेर Poetry (page 19)

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

तिरे ख़याल को ज़ंजीर करता रहता हूँ

आलम ख़ुर्शीद

मैं अजब आदमी हूँ

अख़्तर उस्मान

एक शाएरा की शादी पर

अख़्तर शीरानी

वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए

अख़्तर शीरानी

निकहत-ए-ज़ुल्फ़ से नींदों को बसा दे आ कर

अख़्तर शीरानी

ला पिला साक़ी शराब-ए-अर्ग़वानी फिर कहाँ

अख़्तर शीरानी

तिलिस्म-ए-गुम्बद-ए-बे-दर किसी पे वा न हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

न जब कोई शरीक-ए-ज़ात होगा

अख़्तर होशियारपुरी

नज़र से सफ़्हा-ए-आलम पे ख़ूनीं दास्ताँ लिखिए

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

नहीं आसान तर्क-ए-इश्क़ करना दिल से ग़म जाना

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

फ़लक से चाँद चमन से गुलाब ले आए

अख़लाक़ बन्दवी

ये ग़ाज़ा है काजल है उबटन है क्या है

अख़लाक़ अहमद आहन

ऐसा एक मक़ाम हो जिस में दिल जैसी वीरानी हो

अकबर मासूम

तहसीन के लायक़ तिरा हर शेर है 'अकबर'

अकबर इलाहाबादी

क्या जानिए सय्यद थे हक़ आगाह कहाँ तक

अकबर इलाहाबादी

कभी ज़ख़्म ज़ख़्म निखर के देख कभी दाग़ दाग़ सँवर के देख

अकबर अली खान अर्शी जादह

मेरे साथ सु-ए-जुनून चल मिरे ज़ख़्म खा मिरा रक़्स कर

अजमल सिद्दीक़ी

न नज़र से कोई गुज़र सका न ही दिल से मलबा हटा सका

अजमल सिद्दीक़ी

फ़िरऔन-ए-वक़्त कोई भी हो सर-कशी करो

अजमल अजमली

डाइरी में सारे अच्छे शेर चुन कर लिख लिए

ऐतबार साजिद

आने वाली थी ख़िज़ाँ मैदान ख़ाली कर दिया

ऐतबार साजिद

कभी जो मिल न सकी उस ख़ुशी का हासिल है

ऐन इरफ़ान

दिन हुआ कट कर गिरा मैं रौशनी की धार से

अहमद ज़फ़र

लम्हा लम्हा रोज़ ओ शब को देर होती जाएगी

अहमद शनास

इस इश्क़ में न पूछो हाल-ए-दिल-ए-दरीदा

अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी

रेस्तोराँ

अहमद नदीम क़ासमी

मैं हूँ या तू है ख़ुद अपने से गुरेज़ाँ जैसे

अहमद नदीम क़ासमी

दावा तो किया हुस्न-ए-जहाँ-सोज़ का सब ने

अहमद नदीम क़ासमी

लोग कहते थे वो मौसम ही नहीं आने का

अहमद महफ़ूज़

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