सितम Poetry (page 4)

रौशन हों दिल के दाग़ तो लब पर फ़ुग़ाँ कहाँ

वहीदा नसीम

हमेशा ख़ून-ए-शहीदाँ के रंग से आबाद

वहीद क़ुरैशी

पत्थरों का मुग़न्नी

वहीद अख़्तर

उम्र को करती हैं पामाल बराबर यादें

वहीद अख़्तर

रहे वो ज़िक्र जो लब-हा-ए-आतिशीं से चले

वहीद अख़्तर

दफ़्तर-ए-लौह ओ क़लम या दर-ए-ग़म खुलता है

वहीद अख़्तर

ये क़दम क़दम कशाकश दिल बे-क़रार क्या है

वारिस किरमानी

बहुत दिनों में हम उन से जो हम-कलाम हुए

वारिस किरमानी

ऐ सबा निकहत-ए-गेसू-ए-मुअंबर लाना

वारिस किरमानी

आशिक़ हुए तो इश्क़ में होश्यार क्यूँ न थे

वारिस किरमानी

रफ़्ता रफ़्ता दिल-ए-बे-ताब ठहर जाएगा

उरूज ज़ैदी बदायूनी

यास ओ उमीद

उरूज क़ादरी

थम ज़रा वक़्त-ए-अजल दीदार-ए-जाँ होने लगा

उम्मीद ख़्वाजा

ज़ेहन-ओ-दिल में कुछ न कुछ रिश्ता भी था

उम्मीद फ़ाज़ली

हाए इक शख़्स जिसे हम ने भुलाया भी नहीं

उम्मीद फ़ाज़ली

आईना-ए-वहशत को जिला जिस से मिली है

उम्मीद फ़ाज़ली

हो के उस कूचे से आई तो सितम ढा गई क्या

उमर अंसारी

ये तो सच है कि वो सितमगर है

उमैर मंज़र

ख़ुद को हर रोज़ इम्तिहान में रख

उमैर मंज़र

होते हैं ख़ुश किसी की सितम-रानियों से हम

तिलोकचंद महरूम

हर इक के दुख पे जो अहल-ए-क़लम तड़पता था

तिफ़्ल दारा

किसी ने पूछा जो उम्र-ए-रवाँ के बारे में

तसनीम आबिदी

दिल को क़रार मिलता है अक्सर चुभन के बा'द

तासीर सिद्दीक़ी

सिसकती मज़लूमियत के नाम

तारिक़ क़मर

ख़िज़ाँ-नसीबों पे बैन करती हुई हवाएँ

तारिक़ क़मर

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

फ़ुरात-ए-इस्मत के साहिलों पर

तारिक़ क़मर

कौन सा मैं जवाज़ दूँ सूरत-ए-हाल के लिए

तारिक़ क़मर

इस रात किसी और क़लम-रौ में कहीं था

तारिक़ नईम

रास्ते में आ रहे हैं जो नदी नाले न देख

तनवीर गौहर

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