सितम Poetry (page 5)

बातिल-ओ-ना-हक़ से उम्मीद-ए-करम करते रहे

तनवीर गौहर

तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का

तनवीर अंजुम

ज़ेहन ज़िंदा है मगर अपने सवालात के साथ

तनवीर अहमद अल्वी

मिरी ग़ज़ल जो नए साज़ से इबारत है

तनवीर अहमद अल्वी

क्या ज़रूरी है कोई बे-सबब आज़ार भी हो

तनवीर अहमद अल्वी

फ़िशार-ए-हुस्न से आग़ोश-ए-तंग महके है

तनवीर अहमद अल्वी

सारी दुनिया के सितम और मिरा दिल तन्हा

तमन्ना जमाली

यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ

तालिब बाग़पती

शिकवा न हो तसलसुल-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ रहे

तजम्मुल हुसैन अख़्तर

नदामत ही नदामत

तबस्सुम काश्मीरी

वो नाज़ुक सा तबस्सुम रह गया वहम-ए-हसीं बन कर

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

सवाद-ए-ग़म में कहीं गोशा-ए-अमाँ न मिला

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हर सितम लुत्फ़ है दिल ख़ूगर-ए-आज़ार कहाँ

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

फिर मेहरबाँ हुआ है 'ताबाँ' मिरा सितमगर

ताबाँ अब्दुल हई

मुझ से बीमार है मिरा ज़ालिम

ताबाँ अब्दुल हई

आता नहीं वो यार-ए-सितमगर तो क्या हुआ

ताबाँ अब्दुल हई

यार से अब के गर मिलूँ 'ताबाँ'

ताबाँ अब्दुल हई

तुम से अब कामयाब और ही है

ताबाँ अब्दुल हई

तू भली बात से ही मेरी ख़फ़ा होता है

ताबाँ अब्दुल हई

सुन फ़स्ल-ए-गुल ख़ुशी हो गुलशन में आइयाँ हैं

ताबाँ अब्दुल हई

लड़का जो ख़ूब-रू है सो मुझ से बचा नहीं

ताबाँ अब्दुल हई

किसी का काम दिल इस चर्ख़ से हुआ भी है

ताबाँ अब्दुल हई

दिलबर से दर्द-ए-दिल न कहूँ हाए कब तलक

ताबाँ अब्दुल हई

अज़ीज़ाँ सितमगर न आया मिरे घर

ताबाँ अब्दुल हई

कभी कभी तिरी चाहत पे ये गुमाँ गुज़रा

सय्यदा शान-ए-मेराज

थी आसमाँ पे मेरी चढ़ाई तमाम रात

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

मैं ने कहा कि दा'वा-ए-उलफ़त मगर ग़लत

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

हम उन की नज़र में समाने लगे

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

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