यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ

यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ

ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ

हर-चंद नहीं शौक़ को यारा-ए-तमाशा

ख़ुद को न सही मुझ को दिखाने के लिए आ

ये उम्र, ये बरसात, ये भीगी हुइ रातें

इन रातों को अफ़्साना बनाने के लिए आ

जैसे तुझे आते हैं न आने के बहाने

ऐसे ही बहाने से न जाने के लिए आ

माना कि मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत

चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ

तक़दीर भी मजबूर है, तदबीर भी मजबूर

इन कोहना अक़ीदे को मिटाने के लिए आ

आरिज़ पे शफ़क़, दामन-ए-मिज़्गाँ में सितारे

यूँ इश्क़ की तौक़ीर बढ़ाने के लिए आ

'तालिब' को ये क्या इल्म, करम है कि सितम है

जाने के लिए रूठ, मनाने के लिए आ

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In Hindi By Famous Poet Talib Baghpati. is written by Talib Baghpati. Complete Poem in Hindi by Talib Baghpati. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.