सोच Poetry (page 6)

ये अर्ज़-ओ-समा क़ुलज़ुम-ओ-सहरा मुतहर्रिक

शम्स रम्ज़ी

कमरे की दीवारों पर आवेज़ां जो तस्वीरें हैं

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

सय्याल तसव्वुर है उबलने की तरह का

शमीम क़ासमी

तुम्हारे चाक पर ऐ कूज़ा-गर लगता है डर हम को

शमीम हनफ़ी

अब क़ैस है कोई न कोई आबला-पा है

शमीम हनफ़ी

तन्हाई

शकील जाज़िब

तवील हिज्र है इक मुख़्तसर विसाल के बा'द

शकील आज़मी

क्या कहिए कि अब उस की सदा तक नहीं आती

शकेब जलाली

क्या जानिए मंज़िल है कहाँ जाते हैं किस सम्त

शकेब जलाली

दाइमी सुख

शाइस्ता मुफ़्ती

ये सोच कर कि तेरी जबीं पर न बल पड़े

शहज़ाद अहमद

तुझ पे जाँ देने को तय्यार कोई तो होगा

शहज़ाद अहमद

सूरज की किरन देख के बेज़ार हुए हो

शहज़ाद अहमद

इबलीस भी रख लेते हैं जब नाम फ़रिश्ते

शहज़ाद अहमद

दरिया कभी इक हाल में बहता न रहेगा

शहज़ाद अहमद

उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम

शहरयार

मेरी ज़मीं

शहरयार

उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए

शहरयार

तेरी साँसें मुझ तक आते बादल हो जाएँ

शहरयार

जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा

शहरयार

बुनियाद-ए-जहाँ में कजी क्यूँ है

शहरयार

अभी मैं ये सोच ही रहा था

शहराम सर्मदी

इस सोच में ही मरहला-ए-शब गुज़र गया

शहराम सर्मदी

नींद की माती

शहनाज़ नबी

ग़म मुझ से किसी तौर समेटा नहीं जाता

शहनाज़ मुज़म्मिल

सभी रास्ते तिरे नाम के सभी फ़ासले तिरे नाम के

शहनवाज़ ज़ैदी

हर किसी ख़्वाब के चेहरे पे लिखूँ नाम तिरा

शहनवाज़ ज़ैदी

मौज आए कोई हल्क़ा-ए-गिर्दाब की सूरत

शाहिद शैदाई

आँखों में है पर आँख ने देखा नहीं अभी

शाहिद शैदाई

मीनारों से ऊपर निकला दीवारों से पार हुआ

शाहिद मीर

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