तीर Poetry (page 16)

गुज़रने वाली हवा को बता दिया गया है

अज़ीज़ नबील

'मीर'

अज़ीज़ लखनवी

आतिश-ए-ख़ामोश

अज़ीज़ लखनवी

ये फ़ज़ा-ए-साज़-ओ-मुज़रिब ये हुजूम-ताज-ए-दाराँ

अज़ीज़ हामिद मदनी

सिलसिला यूँ भी रवा रक्खा शनासाई का

अज़हर नवाज़

जाने आया था क्यूँ मकान से मैं

अज़हर इनायती

दियों से आग जो लगती रही मकानों को

अज़हर इनायती

क़ज़ा का तीर था कोई कमान से निकल गया

अज़हर अदीब

निगाह कोई तो तूफ़ाँ में मेहरबान सी है

अतुल अजनबी

नाक़ूस की सदाओं से और न अज़ान से

अतीक़ मुज़फ़्फ़रपुरी

रात और रेल

असरार-उल-हक़ मजाज़

वो नख़्ल जो बार-वर हुए हैं

असलम अंसारी

वहशत में सू-ए-दश्त जो ये आह ले गई

आसिफ़ुद्दौला

बज़्म-ए-सुख़न को आप की दिल-गीर चल पड़े

अासिफ़ साक़िब

अपनी ग़ज़लों को रिसालों से अलग रखता हूँ

अशफ़ाक़ रशीद मंसूरी

रंज जो दीदा-ए-नमनाक में देखा गया है

अशफ़ाक़ नासिर

दिल में सौ तीर तराज़ू हुए तब जा के खुला

अशफ़ाक़ हुसैन

इतना बे-नफ़अ नहीं उस से बिछड़ना मेरा

अशफ़ाक़ हुसैन

इक शख़्स अपने हाथ की तहरीर दे गया

असग़र राही

अपने घर में मिरी तस्वीर सजाने वाले

असग़र राही

आए थे घर में आग लगाने शरीर लोग

असग़र मेहदी होश

आह से जब दिल में डूबे तीर उभारे जाएँगे

असर लखनवी

मिरे शजर तुझे मौसम नया बनाते रहें

असअ'द बदायुनी

मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने

आरज़ू लखनवी

तक़दीर पे शाकिर रह कर भी ये कौन कहे तदबीर न कर

आरज़ू लखनवी

न कर तलाश-ए-असर तीर है लगा न लगा

आरज़ू लखनवी

मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने

आरज़ू लखनवी

क्यूँ किसी रह-रौ से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता

आरज़ू लखनवी

हम आज खाएँगे इक तीर इम्तिहाँ के लिए

आरज़ू लखनवी

दिल में याद-ए-बुत-ए-बे-पीर लिए बैठा हूँ

आरज़ू लखनवी

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