तेग Poetry (page 2)

फ़िशार-ए-हुस्न से आग़ोश-ए-तंग महके है

तनवीर अहमद अल्वी

दिल की हसरत न रही दिल में मिरे कुछ बाक़ी

ताबाँ अब्दुल हई

यार रूठा है मिरा उस को मनाऊँ किस तरह

ताबाँ अब्दुल हई

याँ तलक के है तिरे हिज्र में फ़रियाद कि बस

ताबाँ अब्दुल हई

है आरज़ू ये जी में उस की गली में जावें

ताबाँ अब्दुल हई

ऐसा कहाँ हुबाब कोई चश्म-ए-तर कि हम

ताबाँ अब्दुल हई

उन्स है ख़ाना-ए-सय्याद से गुलशन कैसा

तअशशुक़ लखनवी

सू-ए-दयार ख़ंदा-ज़न वो यार-ए-जानी फिर गया

तअशशुक़ लखनवी

न डरे बर्क़ से दिल की है कड़ी मेरी आँख

तअशशुक़ लखनवी

दिल जल के रह गए ज़क़न-ए-रश्क-ए-माह पर

तअशशुक़ लखनवी

अपनी फ़रहत के दिन ऐ यार चले आते हैं

तअशशुक़ लखनवी

क़ाज़ी के मुँह पे मारी है बोतल शराब की

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

मोहताज नहीं क़ाफ़िला आवाज़-ए-दरा का

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

मैं ने कहा कि दा'वा-ए-उलफ़त मगर ग़लत

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

ले के अपनी ज़ुल्फ़ को वो प्यारे प्यारे हाथ में

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

जब कहो क्यूँ हो ख़फ़ा क्या बाइ'स

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

बदन को वज्द तिरे बे-हिसाब-ओ-हद आए

सय्यद काशिफ़ रज़ा

शगुफ़्ता हो के बैठे थे वो अपने बे-क़रारों में

सय्यद फ़रज़नद अहमद सफ़ीर

हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से नहीं जाने वाला

सय्यद अमीन अशरफ़

फ़साद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र हासिल-ए-तमाशा देख

सय्यद अमीन अशरफ़

इज़्ज़त उसी की अहल-ए-नज़र की नज़र में है

सय्यद अमीर हसन मारहरवी दिलेर

पदमनी

सुरूर जहानाबादी

अब तो दिल ओ दिमाग़ में कोई ख़याल भी नहीं

सुनील कुमार जश्न

सफ़ेद घोड़े पर सवार अजनबी

सुलतान सुबहानी

अचानक किसी ने जो चिलमन उठा दी

सोज़ बरेलवी

तेरी भँवों की तेग़ के जो रू-ब-रू हुआ

सिराज औरंगाबादी

सनम जब चीरा-ए-ज़र-तार बाँधे

सिराज औरंगाबादी

पीव के आने का वक़्त आया है

सिराज औरंगाबादी

मान मत कर आशिक़-ए-बे-ताब का अरमान मान

सिराज औरंगाबादी

माइल हूँ गुल-बदन का मुझे गुल सीं क्या ग़रज़

सिराज औरंगाबादी

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