तेग Poetry (page 3)

जान ओ दिल सीं मैं गिरफ़्तार हूँ किन का उन का

सिराज औरंगाबादी

दिल में जब आ के इश्क़ ने तेरे महल किया

सिराज औरंगाबादी

ऐ दोस्त तलत्तुफ़ सीं मिरे हाल कूँ आ देख

सिराज औरंगाबादी

अग़्यार छोड़ मुझ सें अगर यार होवेगा

सिराज औरंगाबादी

अगर कुछ होश हम रखते तो मस्ताने हुए होते

सिराज औरंगाबादी

आया पिया शराब का प्याला पिया हुआ

सिराज औरंगाबादी

ज़बान-ए-ख़ल्क़ को चुप आस्तीं को तर पा कर

सिद्दीक़ मुजीबी

नावक-ज़नी निगाह की ऐ जान-ए-जाँ है हेच

श्याम सुंदर लाल बर्क़

खा के तेग़-ए-निगह-ए-यार दिल-ए-ज़ार गिरा

शऊर बलगिरामी

बेजा न था उठ बैठना बेचैनी से मेरा

शऊर बलगिरामी

असर में देखिए अब कौन कम निकलता है

शुजा ख़ावर

अदल-ए-जहाँगीरी

शिबली नोमानी

ये इक़ामत हमें पैग़ाम-ए-सफ़र देती है

ज़ौक़

न खींचो आशिक़-तिश्ना-जिगर के तीर पहलू से

ज़ौक़

कल गए थे तुम जिसे बीमार-ए-हिज्राँ छोड़ कर

ज़ौक़

कहाँ तलक कहूँ साक़ी कि ला शराब तो दे

ज़ौक़

गुहर को जौहरी सर्राफ़ ज़र को देखते हैं

ज़ौक़

इक सदमा दर्द-ए-दिल से मिरी जान पर तो है

ज़ौक़

दिल बचे क्यूँकर बुतों की चश्म-ए-शोख़-ओ-शंग से

ज़ौक़

चुपके चुपके ग़म का खाना कोई हम से सीख जाए

ज़ौक़

अज़ीज़ो इस को न घड़ियाल की सदा समझो

ज़ौक़

ऐ 'ज़ौक़' वक़्त नाले के रख ले जिगर पे हाथ

ज़ौक़

हो कैसे किसी वादे का इक़रार रजिस्टर्ड

शौक़ बहराइची

हवा की राह-नुमाई पे शक नहीं रखते

शरीक़ अदील

मौसम-ए-संग-ओ-रंग से रब्त-ए-शरार किस को था

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

हमारे साथ जिसे मौत से हो प्यार चले

शमीम जयपुरी

'हातिम' उस ज़ालिम के अबरू को न छेड़

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

तिरी भुवाँ की तेग़ जब आई नज़र मुझे

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

ने शिकवा-मंद दिल से न अज़-दस्त-दीदा हूँ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

हमें याद आवती हैं बातें उस गुल-रू की रह रह के

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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