वादा Poetry (page 10)

न पयाम चाहते हैं न कलाम चाहते हैं

अरशद सिद्दीक़ी

नहीं चमके ये हँसने में तुम्हारे दाँत अंजुम से

अरशद अली ख़ान क़लक़

आश्ना होते ही उस इश्क़ ने मारा मुझ को

अरशद अली ख़ान क़लक़

मैं हूँ ऐसे बिखरा सा

अर्श सहबाई

हम हैं और ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ है आज-कल

अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ

खींच कर तलवार जब तर्क-ए-सितमगर रह गया

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

आना भी आने वाले का अफ़्साना हो गया

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

था व'अदा शाम का मगर आए वो रात को

अनवर शऊर

यादों के बाग़ से वो हरा-पन नहीं गया

अनवर शऊर

ख़त्म हर अच्छा बुरा हो जाएगा

अनवर शऊर

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

अनवर मिर्ज़ापुरी

ज़माना उफ़ ये कैसा हो रहा है

अनवर जमाल अनवर

अश्क बेताब व निगह बे-बाक व चश्म-ए-तर ख़राब

अनवर देहलवी

कुछ उज़्र पस-ए-वा'दा-ख़िलाफ़ी नहीं रखते

अंजुम ख़लीक़

तुम्हारा हाथ जब मेरे लरज़ते हाथ से छूटा ख़िज़ाँ के आख़िरी दिन थे

अमजद इस्लाम अमजद

उस के वादों से इतना तो साबित हुआ उस को थोड़ा सा पास-ए-तअल्लुक़ तो है

आमिर उस्मानी

दर्द बढ़ता गया जितने दरमाँ किए प्यास बढ़ती गई जितने आँसू पिए

आमिर उस्मानी

वो और वा'दा वस्ल का क़ासिद नहीं नहीं

अमीर मीनाई

शमशीर है सिनाँ है किसे दूँ किसे न दूँ

अमीर मीनाई

भूला हूँ मैं आलम को सरशार इसे कहते हैं

अमानत लखनवी

वो उम्मीद क्या जिस की हो इंतिहा

अल्ताफ़ हुसैन हाली

मुझे कल के वादे पे करते हैं रुख़्सत

अल्ताफ़ हुसैन हाली

जुनूँ कार-फ़रमा हुआ चाहता है

अल्ताफ़ हुसैन हाली

न आते हमें इस में तकरार क्या थी

अल्लामा इक़बाल

इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए

अली जव्वाद ज़ैदी

इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए

अली जव्वाद ज़ैदी

इक मुंतज़िर-ए-वादा की शम्अ जली होगी

अलीम मसरूर

दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए

अलीम अख़्तर

वो उन का व'अदा वो ईफ़ा-ए-अहद का आलम

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

ज़िंदगी तेरे अजब ठोर-ठिकाने निकले

अकमल इमाम

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