वादा Poetry (page 7)

यास की बदली यूँ दिल पर छा गई

गोपाल कृष्णा शफ़क़

किसी से ख़्वाब का चर्चा न करना

गिरिजा व्यास

गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

अपने अशआर को रुस्वा सर-ए-बाज़ार करूँ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

वही वा'दा है वही आरज़ू वही अपनी उम्र-ए-तमाम है

ग़ुलाम मौला क़लक़

कोई कैसा ही साबित हो तबीअ'त आ ही जाती है

ग़ुलाम मौला क़लक़

बेवफ़ा के वा'दे पर ए'तिबार करते हैं

ग़नी एजाज़

नहीं कि मुझ को क़यामत का ए'तिक़ाद नहीं

ग़ालिब

हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए-सुख़न की आज़माइश है

ग़ालिब

दहर में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ

ग़ालिब

बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी

ग़ालिब

ज़िंदगी से उम्र-भर तक चलने का वादा किया

गौतम राजऋषि

न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद

फ़िराक़ गोरखपुरी

हासिल-ए-ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ नाकाम है

फ़िगार उन्नावी

न तुम आए न चैन आया न मौत आई शब-ए-व'अदा

फ़य्याज़ हाशमी

न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी

फ़य्याज़ हाशमी

शहर-ए-दोस्त

फ़ारूक़ बख़्शी

वो रोज़-ओ-शब भी नहीं हैं वो रंग-ओ-बू भी नहीं

फ़ारिग़ बुख़ारी

वो रोज़-ओ-शब भी नहीं है वो रंग-ओ-बू भी नहीं

फ़ारिग़ बुख़ारी

तेरी ख़ातिर ये फ़ुसूँ हम ने जगा रक्खा है

फ़ारिग़ बुख़ारी

हमें तो साथ चलने का हुनर अब तक नहीं आया

फ़रह इक़बाल

वो पूछते हैं हिज्र में है इज़्तिराब क्या

फ़ानी बदायुनी

बे-ख़ुदी पे था 'फ़ानी' कुछ न इख़्तियार अपना

फ़ानी बदायुनी

ऐ 'फ़ना' मेरी मय्यत पे कहते हैं वो

फ़ना बुलंदशहरी

काफ़िर-ए-इश्क़ को क्या से क्या कर दिया

फ़ना बुलंदशहरी

व-यबक़ा-वज्ह-ओ-रब्बिक

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मरसिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

अगस्त-1952

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वफ़ा-ए-वादा नहीं वादा-ए-दिगर भी नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शरह-ए-बेदर्दी-ए-हालात न होने पाई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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