ज़बां Poetry (page 20)

अक्स है बे-ताबियों का दिल की अरमानों में क्यूँ

हामिदुल्लाह अफ़सर

चोरी की भूक

हमीदा शाहीन

कैसा ग़ज़ब ये ऐ दिल-ए-पुर-जोश कर दिया

हमीद जालंधरी

मुकाफ़ात

हमीद अलमास

मरीज़-ए-इश्क़ की जुज़-मर्ग दुनिया में दवा क्यूँ हो

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

बे-सूद एक सिलसिला-ए-इम्तिहाँ न खोल

हकीम मंज़ूर

बयाबाँ-ज़ाद कोई क्या कहे ख़ुद बे-मकाँ है

हकीम मंज़ूर

अजब सहरा बदन पर आब का इबहाम रक्खा है

हकीम मंज़ूर

जुनूँ का मिरे इम्तिहाँ हो रहा है

हैरत गोंडवी

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

हैदर अली आतिश

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए

हैदर अली आतिश

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

हैदर अली आतिश

नाज़-ओ-अदा है तुझ से दिल-आराम के लिए

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

ख़ार मतलूब जो होवे तो गुलिस्ताँ माँगूँ

हैदर अली आतिश

कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हैदर अली आतिश

हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ

हैदर अली आतिश

दिल शहीद-ए-रह-ए-दामान न हुआ था सो हुआ

हैदर अली आतिश

दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे

हैदर अली आतिश

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

सिर्फ़ ज़बाँ की नक़्क़ाली से बात न बन पाएगी 'हफ़ीज़'

हफ़ीज़ मेरठी

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