धरती Poetry (page 10)

ज़बाँ के साथ यहाँ ज़ाइक़ा भी रक्खा है

हमदम कशमीरी

वहम कोई गुमाँ में था ही नहीं

हमदम कशमीरी

मिलता है हर चराग़ को साया ज़मीन पर

हमदम कशमीरी

कौन से दिन हाथ में आया मिरे दामान-ए-यार

हैदर अली आतिश

तोड़ कर तार-ए-निगह का सिलसिला जाता रहा

हैदर अली आतिश

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हैदर अली आतिश

हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ

हैदर अली आतिश

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

हैदर अली आतिश

तराना-ए-पाकिस्तान

हफ़ीज़ जालंधरी

तेज़ चलो

हबीब जालिब

ख़ुदा हमारा है

हबीब जालिब

तारे हमारी ख़ाक में बिखरे पड़े रहे

गुलज़ार वफ़ा चौदरी

फ़ज़ा

गुलज़ार

आसमाँ कहते हैं जिस को वो ज़मीन-ए-शेर है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

फ़राख़-दस्त का ये हुस्न-ए-तंग-दस्ती है

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

क़र्या-ए-हैरत में दिल का मुस्तक़र इक ख़्वाब है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

नुमूद पाते हैं मंज़रों की शिकस्त से फ़तह के बहाने

ग़ुलाम हुसैन साजिद

नहीं है इस नींद के नगर में अभी किसी को दिमाग़ मेरा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरी सुब्ह-ए-ख़्वाब के शहर पर यही इक जवाज़ है जब्र का

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरे नज्म-ए-ख़्वाब के रू-ब-रू कोई शय नहीं मिरे ढंग की

ग़ुलाम हुसैन साजिद

ख़ुदा-ए-बर्तर ने आसमाँ को ज़मीन पर मेहरबाँ किया है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

कहीं मोहब्बत के आसमाँ पर विसाल का चाँद ढल रहा है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

चराग़-ए-ख़ाना-ए-दिल को सुपुर्द-ए-बाद कर दूँ

ग़ुलाम हुसैन साजिद

चराग़ की ओट में रुका है जो इक हयूला सा यासमीं का

ग़ुलाम हुसैन साजिद

चराग़ की ओट में है मेहराब पर सितारा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

अजीब शख़्स है पहले मुझे हँसाता है

ग़ज़नफ़र

गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल है

ग़ालिब

सर-ज़मीन-ए-हिंद पर अक़्वाम-ए-आलम के 'फ़िराक़'

फ़िराक़ गोरखपुरी

साँस लेती है वो ज़मीन 'फ़िराक़'

फ़िराक़ गोरखपुरी

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