चेन Poetry (page 12)

जिन से हम छूट गए अब वो जहाँ कैसे हैं

राही मासूम रज़ा

तबर-ओ-तेशा-ओ-तासीर कहाँ से लाएँ

राहील फ़ारूक़

कैसे बनाऊँ हाथ पर तस्वीर ख़्वाब की

इरम ज़ेहरा

चैत का फूल

इक़तिदार जावेद

रवाँ हूँ मैं

इक़बाल कौसर

छोटी ही सही बात की तासीर तो देखो

इक़बाल अंजुम

है मुझ को रब्त बस-कि ग़ज़ालान-ए-रम के साथ

इंशा अल्लाह ख़ान

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

जब दस्त-बस्ता की नहीं उक़्दा-कुशा नमाज़

इमदाद अली बहर

सब हमारे लिए ज़ंजीर लिए फिरते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

'इश्क़ी'-साहिब लिखना है तो कोई नई तहरीर लिखो

इलियास इश्क़ी

वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है

इफ़्तिख़ार राग़िब

मिट्टी की गवाही से बड़ी दिल की गवाही

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बुलंद हाथों में ज़ंजीर डाल देते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बैलन्स-शीट

इफ़्तिख़ार आरिफ़

तार-ए-शबनम की तरह सूरत-ए-ख़स टूटती है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बस्ती भी समुंदर भी बयाबाँ भी मिरा है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अज़ाब-ए-वहशत-ए-जाँ का सिला न माँगे कोई

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मक़्तल के इस सुकूत पे हैरत है क्या कहें

इफ़्तिख़ार आज़मी

कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो

इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या

इब्न-ए-इंशा

हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है

हुमैरा राहत

दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे

होश तिर्मिज़ी

हो के अफ़्सुर्दा मिरी शूमी-ए-तक़दीर न देख

हज़ार लखनवी

वारिद कोह-ए-बयाबाँ जब में दीवाना हुआ

हातिम अली मेहर

क़त्अ हो कर काकुल-ए-शब-गीर आधी रह गई

हातिम अली मेहर

पूछेगा जो वो रश्क-ए-क़मर हाल हमारा

हातिम अली मेहर

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

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