जीवन Poetry (page 43)

अपने चमन पे अब्र ये कैसा बरस गया

हुरमतुल इकराम

ज़रा सी बात पर नाराज़ होना रंजिशें करना

हुमैरा रहमान

वो मुझ को आज़माता ही रहा है ज़िंदगी भर

हुमैरा राहत

उसे भी ज़िंदगी करनी पड़ेगी 'मीर' जैसी

हुमैरा राहत

फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है

हुमैरा राहत

सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़िंदगी नहीं कहते

हिमायत अली शाएर

मुद्दत के बाद

हिमायत अली शाएर

हारून की आवाज़

हिमायत अली शाएर

यम-ब-यम फैला हुआ है प्यास का सहरा यहाँ

हिमायत अली शाएर

मैं जो कुछ सोचता हूँ अब तुम्हें भी सोचना होगा

हिमायत अली शाएर

क्या क्या न ज़िंदगी के फ़साने रक़म हुए

हिमायत अली शाएर

अब बताओ जाएगी ज़िंदगी कहाँ यारो

हिमायत अली शाएर

जाम-ए-इश्क़ पी चुके ज़िंदगी भी जी चुके

हिलाल फ़रीद

वही हुआ कि ख़ुद भी जिस का ख़ौफ़ था मुझे

हिलाल फ़रीद

थी अजब ही दास्ताँ जब तमाम हो गई

हिलाल फ़रीद

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

मैं अक्सर सोचती हूँ ज़िंदगी को कौन लिक्खेगा

हिजाब अब्बासी

फिर अँधेरी राह में कोई दिया मिल जाएगा

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी

हीरा लाल फ़लक देहलवी

तुंदी-ए-सैल-ए-वक़्त में ये भी है कोई ज़िंदगी

हज़ीं लुधियानवी

फिर फ़ज़ा धुँदला गई आसार हैं तूफ़ान के

हज़ीं लुधियानवी

इस का नहीं है ग़म कोई, जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

इस का नहीं है ग़म कोई जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

कारज़ार-ए-ज़िंदगी में ऐसे लम्हे आ गए

हयात रिज़वी अमरोहवी

ये जज़्बा-ए-तलब तो मिरा मर न जाएगा

हयात लखनवी

वहम-ओ-गुमाँ में भी कहाँ ये इंक़िलाब था

हयात लखनवी

सूने सूने उजड़े उजड़े से घरों में ले चलो

हयात लखनवी

महक किरदार की आती रही है

हयात लखनवी

हम से किनारा क्यूँ है तिरे मुब्तला हैं हम

हातिम अली मेहर

खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो

हस्तीमल हस्ती

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