ज़ुल्फ़ Poetry (page 16)

अदीब की महबूबा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

हम गर्दिश-ए-दौराँ के सितम देख रहे हैं

राज कुमार सूरी नदीम

शमएँ जुगनू चाँद के हाले जम्अ करो

राज खेती

शमएँ जुगनू चाँद के हाले जम्अ' करो

राज खेती

राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ

रईस अमरोहवी

बुलंद-ओ-पस्त में मंज़िल हमें कहीं न मिली

रईस अमरोहवी

बता क्या क्या तुझे ऐ शौक-ए-हैराँ याद आता है

रईस अमरोहवी

जिस दर पे तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा न रहेगा

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

नाकाम मेरी कोशिश-ए-ज़ब्त-ए-अलम नहीं

राही शहाबी

कभी किसी से न हम ने कोई गिला रक्खा

इरफ़ान सत्तार

रस्म-ए-उल्फ़त से है मक़्सूद-ए-वफ़ा हो कि न हो

इरफ़ान अहमद मीर

एक इक लम्हा कि एक एक सदी हो जैसे

इक़बाल उमर

ये इत्र बे-ज़ियाँ नहीं नसीम-ए-नौ-बहार की

इक़बाल सुहैल

नज़र जिन की उलझ जाती है उन की ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ से

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

मुझ पर निगाह-ए-गर्दिश-ए-दौराँ नहीं रही

इक़बाल आबिदी

मेरी फ़रियाद पे रोया है चमन मेरे बा'द

इक़बाल आबिदी

काम आ गई है गर्दिश-ए-दौराँ कभी कभी

इक़बाल आबिदी

सर चश्म सब्र दिल दीं तन माल जान आठों

इंशा अल्लाह ख़ान

पकड़ी किसी से जावे नसीम और सबा बंधे

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे छेड़ने को साक़ी ने दिया जो जाम उल्टा

इंशा अल्लाह ख़ान

मियाँ चश्म-ए-जादू पे इतना घमंड

इंशा अल्लाह ख़ान

भले आदमी कहीं बाज़ आ अरे उस परी के सुहाग से

इंशा अल्लाह ख़ान

ये जो आबाद होने जा रहे हैं

इमरान-उल-हक़ चौहान

हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं

इमरान-उल-हक़ चौहान

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ

इम्दाद इमाम असर

किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात

इम्दाद इमाम असर

हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है

इम्दाद इमाम असर

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

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