ज़ुल्फ़ Poetry (page 19)

जब भी उस ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ की हवा आती है

हनीफ़ अख़गर

इस तरह अहद-ए-तमन्ना को गुज़ारे जाइए

हनीफ़ अख़गर

मुझे रहीन-ए-ग़म-ए-जाँ-नवाज़ रहने दे

हमीद नागपुरी

हर चोट पर ज़माने की हम मुस्कुराए हैं

हैरत सहरवर्दी

आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम

हैरत गोंडवी

जो देखते तिरी ज़ंजीर-ए-ज़ुल्फ़ का आलम

हैदर अली आतिश

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

हैदर अली आतिश

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

हैदर अली आतिश

वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ

हैदर अली आतिश

उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

रुख़ ओ ज़ुल्फ़ पर जान खोया किया

हैदर अली आतिश

रुजूअ बंदा की है इस तरह ख़ुदा की तरफ़

हैदर अली आतिश

रफ़्तगाँ का भी ख़याल ऐ अहल-ए-आलम कीजिए

हैदर अली आतिश

क़िस्सा-ए-सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ न कहना बेहतर

हैदर अली आतिश

क़द-ए-सनम सा अगर आफ़रीदा होना था

हैदर अली आतिश

पीरी से मिरा नौ दिगर-हाल हुआ है

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मय-ए-गुल-रंग से लबरेज़ रहें जाम सफ़ेद

हैदर अली आतिश

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है

हैदर अली आतिश

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

हैदर अली आतिश

कोई इश्क़ में मुझ से अफ़्ज़ूँ न निकला

हैदर अली आतिश

ख़ार मतलूब जो होवे तो गुलिस्ताँ माँगूँ

हैदर अली आतिश

जोश-ओ-ख़रोश पर है बहार-ए-चमन हनूज़

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

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