असर Poetry (page 19)

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

देते हैं मेरे जाम में देखें शराब कब

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

ख़ाक-ए-हिंद

चकबस्त ब्रिज नारायण

कभी था नाज़ ज़माने को अपने हिन्द पे भी

चकबस्त ब्रिज नारायण

मिरी ज़िंदगी है तन्हा तुम्हें कुछ असर तो होता

बबल्स होरा सबा

निगाह-ए-क़हर होगी या मोहब्बत की नज़र होगी

बिस्मिल अज़ीमाबादी

मेरी दुआ कि ग़ैर पे उन की नज़र न हो

बिस्मिल अज़ीमाबादी

दुनिया में वफ़ा-केश बशर ढूँढ रहा हूँ

बिर्ज लाल रअना

वो देखते जाते हैं कनखियों से इधर भी

बेख़ुद देहलवी

तुम्हें हम चाहते तो हैं मगर क्या

बेख़ुद देहलवी

मेरे हम-राह मिरे घर पे भी आफ़त आई

बेख़ुद देहलवी

दिल चुरा ले गई दुज़्दीदा-नज़र देख लिया

बेख़ुद देहलवी

दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर

बेख़ुद देहलवी

पयाम ले के जो पैग़ाम-बर रवाना हुआ

बेखुद बदायुनी

नाले में कभी असर न आया

बेखुद बदायुनी

पास-ए-अदब मुझे उन्हें शर्म-ओ-हया न हो

बेदम शाह वारसी

पर्दे उठे हुए भी हैं उन की इधर नज़र भी है

बेदम शाह वारसी

ख़ंजर तलाश करता है

बेबाक भोजपुरी

राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का

बेबाक भोजपुरी

ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है

बेबाक भोजपुरी

बड़ी दिल-शिकन है रह-ए-सफ़र कोई हम-सफ़र है न यार है

बेबाक भोजपुरी

ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर

बयान मेरठी

उन का बर्बाद-ए-करम कहने के क़ाबिल हो गया

बासित भोपाली

हर तरफ़ सोज़ का अंदाज़ जुदागाना है

बासित भोपाली

हर-चंद मेरे हाल से वो बे-ख़बर नहीं

बासिर सुल्तान काज़मी

है दुनिया में ज़बाँ मेरी अगर बंद

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

रुख़ तुम्हारा हो जिधर हम भी उधर हो जाएँगे

बशीर महताब

वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे

बशीर बद्र

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो

बशीर बद्र

कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो

बशीर बद्र

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