अश्क Poetry (page 7)

जब सीं देखा हूँ यार की सूरत

सिराज औरंगाबादी

जब सें तुझ इश्क़ की गरमी का असर है मन में

सिराज औरंगाबादी

इश्क़ ने ख़ूँ किया है दिल जिस का

सिराज औरंगाबादी

इश्क़ की जो लगन नहीं देखा

सिराज औरंगाबादी

इस लब कूँ कब पसंद हैं रस्मी कटोरियाँ

सिराज औरंगाबादी

हर किसी कूँ गुज़र-ए-इश्क़ में आनाँ मुश्किल

सिराज औरंगाबादी

गुल-रुख़ों ने किए हैं सैर का ठाट

सिराज औरंगाबादी

फ़िदा कर जान अगर जानी यही है

सिराज औरंगाबादी

दिलदार की कशिश ने ऐंचा है मन हमारा

सिराज औरंगाबादी

ऐ सनम तुझ बिरह में रोता हूँ

सिराज औरंगाबादी

आया पिया शराब का प्याला पिया हुआ

सिराज औरंगाबादी

कहाँ तलक तिरी यादों से तख़लिया कर लें

सिरज़ अालम ज़ख़मी

दिल-ए-आईना-सामाँ पारा पारा कर के देखा जाए

सिद्दीक़ मुजीबी

ज़िंदा हो जाता हूँ मैं जब यार का आता है ख़त

श्याम सुंदर लाल बर्क़

मिरे दिल की अब ऐ अश्क-ए-नदामत शुस्त-ओ-शू कर दे

श्याम सुंदर लाल बर्क़

बेजा न था उठ बैठना बेचैनी से मेरा

शऊर बलगिरामी

ज़िंदगी तुझ पे गिराँ है तू मरेगा कैसे

शोहरत बुख़ारी

मैं ने ही न कुछ खोया जो पाया न किसी को

शोहरत बुख़ारी

आओ कि अभी छाँव सितारों की घनी है

शोहरत बुख़ारी

न तो गुँध हूँ किसी फूल की न ही फूल हूँ किसी बाग़ का

शिवकुमार बिलग्रामी

जिन के फ़ुटपाठ पे घर पाँव में छाले होंगे

शिफ़ा कजगावन्वी

असर के पीछे दिल-ए-हज़ीं ने निशान छोड़ा न फिर कहीं का

शिबली नोमानी

कुछ सुर्ख़ जो है रंग मिरे अश्क-ए-रवाँ का

शेर मोहम्मद ख़ाँ ईमान

दियत इस क़ातिल-ए-बे-रहम से क्या लीजिएगा

शेर मोहम्मद ख़ाँ ईमान

नाला इस शोर से क्यूँ मेरा दुहाई देता

ज़ौक़

कल गए थे तुम जिसे बीमार-ए-हिज्राँ छोड़ कर

ज़ौक़

जुदा हों यार से हम और न हो रक़ीब जुदा

ज़ौक़

हुए क्यूँ उस पे आशिक़ हम अभी से

ज़ौक़

दूद-ए-दिल से है ये तारीकी मिरे ग़म-ख़ाना में

ज़ौक़

दरिया-ए-अश्क चश्म से जिस आन बह गया

ज़ौक़

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