बदन Poetry (page 17)

रूह को पहले ख़ाकसार किया

साजिद हमीद

आरज़ूएँ सब ख़ाक हुईं

साजिद हमीद

नक़्श जब ज़ख़्म बना ज़ख़्म भी नासूर हुआ

साइमा असमा

जैसे दरिया में गुहर बोलता है

सैफ़ुद्दीन सैफ़

ख़ुशबू है शरारत है रंगीन जवानी है

सैफ़ी प्रेमी

यादों की गूँज ज़ेहन से बाहर निकालिए

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

सीने की आग आतिश-ए-महशर हो जिस तरह

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

लहजे का रंग लफ़्ज़ की ख़ुश्बू भी देख ले

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

दिल के शजर को ख़ून से गुलनार देख कर

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

अब क्या गिला करें कि मुक़द्दर में कुछ न था

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

सुख़न-वर हूँ सुख़न-फ़हमी की लज़्ज़त बाँट देता हूँ

सईद इक़बाल सादी

मैं नहीं तो क्या

साहिर लुधियानवी

चकले

साहिर लुधियानवी

आओ कि कोई ख़्वाब बुनें

साहिर लुधियानवी

दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ

साहिर लुधियानवी

अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है

साहिर लुधियानवी

जुनूँ के जोश में जिस ने मोहब्बत को हुनर जाना

साहिर देहल्वी

नूह के बा'द

सहर अंसारी

हिसाब-ए-शब

सहर अंसारी

विसाल-ओ-हिज्र से वाबस्ता तोहमतें भी गईं

सहर अंसारी

हर अंजुमन में दावा-ए-वहशत किया करो

सग़ीर अहमद सूफ़ी

क्यूँ हर उरूज को यहाँ आख़िर ज़वाल है

सग़ीर मलाल

ख़ाक में मिलती हैं कैसे बस्तियाँ मालूम हो

सग़ीर मलाल

हज़ार हम-सफ़रों में सफ़र अकेला है

साग़र मेहदी

पड़ोसी की मुर्ग़ियाँ

साग़र ख़य्यामी

होली

साग़र ख़य्यामी

दिल्ली की लड़कियाँ

साग़र ख़य्यामी

क्रिकेट मैच

साग़र ख़य्यामी

रहेगा प्यासों से पानी का फ़ासला कब तक

साग़र ख़य्यामी

फूलों से बदन उन के काँटे हैं ज़बानों में

साग़र आज़मी

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