बिहार Poetry (page 24)

दुख उठाओ कितने ही घर बहार करने में

हसन अकबर कमाल

शहर में शोर है उस शोख़ के आ जाने का

हसन आबिद

चार दिन की बहार है सारी

हक़ीर

तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच

हक़ीर

हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए

हेंसन रेहानी

ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल-ओ-क़रार का मौसम

हनीफ़ तरीन

नसीम-ए-सुब्ह-ए-बहार आए दिल-ए-हज़ीं को क़रार आए

हनीफ़ फ़ौक़

दिल-ए-नादाँ पे शिकायत का गुमाँ क्या होगा

हनीफ़ फ़ौक़

इस तरह मह-रुख़ों को पशेमाँ करेंगे हम

हनीफ़ अख़गर

दिल के सूने सहन में गूँजी आहट किस के पाँव की

हम्माद नियाज़ी

माना वो छुपने वाला हर दिल में छुप जाएगा

हामिदुल्लाह अफ़सर

ये चलती-फिरती सी लाशें शुमार करने को

हामिदी काश्मीरी

कोई नहीं था हुनर-आश्ना तुम्हारे बा'द

हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी

इक रोज़ जो गुलशन में वो जान-ए-बहार आए

हामिद इलाहाबादी

है यक दो नफ़स सैर-ए-जहान-ए-गुज़राँ और

हमीद नसीम

फिर किसी याद का दरवाज़ा खुला आहिस्ता

हमीद अलमास

वहम कोई गुमाँ में था ही नहीं

हमदम कशमीरी

बुलबुल को फिर चमन में लगा लाई बू-ए-गुल

हकीम सय्यद मोहम्मद ग़ाज़ीपुरी

हुस्न भी है पनाह में इश्क़ भी है पनाह में

हैरत गोंडवी

आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम

हैरत गोंडवी

मैं उस गुलशन का बुलबुल हूँ बहार आने नहीं पाती

हैदर अली आतिश

फ़स्ल-ए-बहार आई पियो सूफ़ियो शराब

हैदर अली आतिश

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

हैदर अली आतिश

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

जोश-ओ-ख़रोश पर है बहार-ए-चमन हनूज़

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

जाँ-बख़्श लब के इश्क़ में ईज़ा उठाइए

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

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