बिहार Poetry (page 23)

उन को याँ वादे पे आ लेने दे ऐ अब्र-ए-बहार

हसरत मोहानी

छेड़ नाहक़ न ऐ नसीम-ए-बहार

हसरत मोहानी

आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न

हसरत मोहानी

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी

हसरत मोहानी

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी

पैहम दिया प्याला-ए-मय बरमला दिया

हसरत मोहानी

ख़ू समझ में नहीं आती तिरे दीवानों की

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो

हसरत मोहानी

घटेगा तेरे कूचे में वक़ार आहिस्ता आहिस्ता

हसरत मोहानी

देखना भी तो उन्हें दूर से देखा करना

हसरत मोहानी

गुल कभू हम को दिखाती है कभी सर्व-ओ-समन

हसरत अज़ीमाबादी

साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश

हसरत अज़ीमाबादी

फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल

हसरत अज़ीमाबादी

हुस्न को उस के ख़त का दाग़ लगा

हसरत अज़ीमाबादी

हर तरफ़ है उस से मेरे दिल के लग जाने में धूम

हसरत अज़ीमाबादी

जो मेरे दश्त-ए-जुनूँ में था फ़र्क़-ए-रू-ए-बहार

हसन नईम

ख़ेमा-ए-याद

हसन नईम

वो कज-निगाह न वो कज-शिआ'र है तन्हा

हसन नईम

वो जो दर्द था तिरे इश्क़ का वही हर्फ़ हर्फ़-ए-सुख़न में है

हसन नईम

सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई

हसन नईम

मैं किस वरक़ को छुपाऊँ दिखाऊँ कौन सा बाब

हसन नईम

जो ग़म के शो'लों से बुझ गए थे हम उन के दाग़ों का हार लाए

हसन नईम

बयान-ए-शौक़ बना हर्फ़-ए-इज़्तिराब बना

हसन नईम

अहल-ए-हवस के हाथों न ये कारोबार हो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

आइनों से पहले भी रस्म-ए-ख़ुद-नुमाई थी

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो

हसन बरेलवी

इक भयानक तीरगी है रौशनी ऐ रौशनी

हसन अख्तर जलील

क्या होता है ख़िज़ाँ बहार के आने जाने से

हसन अकबर कमाल

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