हसन Poetry (page 7)

लूटा है मुझे उस की हर अदा ने

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

लबरेज़-ए-हक़ीक़त गो अफ़साना-ए-मूसा है

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

क्या है कि आज चलते हो कतरा के राह से

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

दिल के कहने पे चलूँ अक़्ल का कहना न करूँ

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

हुस्न की ज़बान से

वहीदुद्दीन सलीम

आरियों की पहली आमद हिन्दोस्तान में

वहीदुद्दीन सलीम

मुद्दत हुई है मदह-ए-हसीनाँ किए हुए

वहीदुद्दीन सलीम

मुद्दत हुई है मदह-ए-हसीनाँ किए हुए

वहीदुद्दीन सलीम

कभी न हुस्न-ओ-मोहब्बत में बन सकी 'वाहिद'

वाहिद प्रेमी

इस तरह हुस्न-ओ-मोहब्बत की करो तुम तफ़्सीर

वाहिद प्रेमी

अँधेरों में उजाले ढूँढता हूँ

वाहिद प्रेमी

ग़म भी है कैफ़ भी है सोज़ भी है साज़ भी है

वाहिद प्रेमी

कोई न चाहने वाला था हुस्न-ए-रुस्वा का

वहीद क़ुरैशी

मावरा

वहीद अख़्तर

कहीं शुनवाई नहीं हुस्न की महफ़िल के ख़िलाफ़

वहीद अख़्तर

आँख जो नम हो वही दीदा-ए-तर मेरा है

वहीद अख़्तर

शाफ़्फ़ाफ़ियाँ(2)

वहीद अहमद

जमाल-ए-नस्तरनी रंग-ओ-बू-ए-यासमनी

वारिस किरमानी

किसे बताऊँ कि ग़म क्या है सरख़ुशी क्या है

उरूज ज़ैदी बदायूनी

हिजाब उट्ठे हैं लेकिन वो रू-ब-रू तो नहीं

उम्मीद फ़ाज़ली

बसंत और होली की बहार

उफ़ुक़ लखनवी

इश्क़ में हर तमन्ना-ए-क़ल्ब-ए-हज़ीं सुर्ख़ आँसू बहाए तो मैं क्या करूँ

तुर्फ़ा क़ुरैशी

देखा है कहीं रंग-ए-सहर वक़्त से पहले

तुर्फ़ा क़ुरैशी

जब से गुज़रा है किसी हुस्न के बाज़ार से दिल

त्रिपुरारि

नूर-जहाँ का मज़ार

तिलोकचंद महरूम

ख़ाक-ए-हिंद

तिलोकचंद महरूम

वो आई शाम-ए-ग़म वक़्फ़-ए-बला होने का वक़्त आया

तिलोकचंद महरूम

वही अरमान जैसे जी जो मुश्किल से निकलते हैं

तिलोकचंद महरूम

किसी की याद को हम ज़ीस्त का हासिल समझते हैं

तिलोकचंद महरूम

कम न थी सहरा से कुछ भी ख़ाना-वीरानी मिरी

तिलोकचंद महरूम

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