दीपक Poetry (page 19)

ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की

इक़बाल अशहर

दयार-ए-दिल में नया नया सा चराग़ कोई जला रहा है

इक़बाल अशहर

किस को हम-सफ़र समझें जो भी साथ चलते हैं

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो

इन्दिरा वर्मा

कोई बाग़ सा सजा हुआ मिरे सामने

इनाम नदीम

हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना

इम्तियाज़ साग़र

यूँही अक्सर मुझे समझा बुझा कर लौट जाती है

इम्तियाज़ अहमद

उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए

इमरान-उल-हक़ चौहान

कोई तो है जो आहों में असर आने नहीं देता

इमरान-उल-हक़ चौहान

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

कुछ एहतिमाम न था शाम-ए-ग़म मनाने को

इमरान आमी

बात दिल को मिरे लगी नहीं है

इमरान आमी

रात चराग़ की महफ़िल में शामिल एक ज़माना था

इमदाद निज़ामी

सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ

इम्दाद इमाम असर

कब ग़ैर हुआ महव तिरी जल्वागरी का

इम्दाद इमाम असर

शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का

इमदाद अली बहर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

महरम के सितारे टूटते हैं

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से

इमदाद अली बहर

हम नाक़िसों के दौर में कामिल हुए तो क्या

इमदाद अली बहर

हम आज-कल हैं नामा-नवीसी की ताव पर

इमदाद अली बहर

बद-तालई का इलाज क्या हो

इमदाद अली बहर

आदमी

इलियास बाबर आवान

रख़्त-ए-गुरेज़ गाम से आगे की बात है

इलियास बाबर आवान

न-जाने कौन तिरे काख़-ओ-कू में आएगा

इलियास बाबर आवान

हो चराग़-ए-इल्म रौशन ठीक से

इफ़्तिख़ार राग़िब

यही चराग़ है सब कुछ कि दिल कहें जिस को

इफ़्तिख़ार मुग़ल

कोई वजूद है दुनिया में कोई परछाईं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

वो ख़्वाब था बिखर गया ख़याल था मिला नहीं

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

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