दर्द Poetry (page 6)

ढूँढ हम उन को परेशान बने बैठे हैं

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

ऐसा भी नहीं दर्द ने वहशत नहीं की है

यशब तमन्ना

ज़ेहन का कुछ मुंतशिर तो हाल का ख़स्ता रहा

यासीन अफ़ज़ाल

दिलों में दर्द ही उतना कशीद रक्खा है

याक़ूब तसव्वुर

ख़ुद पे इल्ज़ाम क्यूँ धरो बाबा

याक़ूब राही

क्या हुआ हम से जो दुनिया बद-गुमाँ होने लगी

याक़ूब आमिर

उम्र आख़िर है जुनूँ कर लूँ बहाराँ फिर कहाँ

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

मिस्र में हुस्न की वो गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

उस की याद और दर्द की सौग़ात मेरे साथ थी

यहया ख़ालिद

ख़ुदा गवाह

यहया अमजद

क़िस्सा किताब-ए-उम्र का क्या मुख़्तसर हुआ

यगाना चंगेज़ी

ख़ुदी का नश्शा चढ़ा आप में रहा न गया

यगाना चंगेज़ी

आप से आप अयाँ शाहिद-ए-मअ'नी होगा

यगाना चंगेज़ी

आप में क्यूँकर रहे कोई ये सामाँ देख कर

यगाना चंगेज़ी

दिल में इक दर्द उठा आँखों में आँसू भर आए

वज़ीर अली सबा लखनवी

इश्क़ का इख़्तिताम करते हैं

वज़ीर अली सबा लखनवी

ऐ सबा जज़्ब पे जिस दम दिल-ए-नाशाद आया

वज़ीर अली सबा लखनवी

आई ऐ गुल-एज़ार क्या कहना

वज़ीर अली सबा लखनवी

जब आँख खुली मेरी

वज़ीर आग़ा

कभी दर्द-आश्ना तेरा भी क़ल्ब शादमाँ होगा

वासिफ़ देहलवी

बुझते हुए चराग़ फ़रोज़ाँ करेंगे हम

वासिफ़ देहलवी

दुख दर्द में हमेशा निकाले तुम्हारे ख़त

वसी शाह

वहाँ अब जा के देखें हम से क्या इरशाद करते हैं

वसीम ख़ैराबादी

मौत आई मुझे कूचे में तिरे जाने से

वसीम ख़ैराबादी

शहर मेरा

वसीम बरेलवी

एक नज़्म

वसीम बरेलवी

अदना सा बासी

वसीम बरेलवी

ज़िंदगी तुझ पे अब इल्ज़ाम कोई क्या रक्खे

वसीम बरेलवी

तहरीर से वर्ना मिरी क्या हो नहीं सकता

वसीम बरेलवी

मुझ को दुनिया से बे-ख़बर कर दे

वसीम अकरम

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