दिल में इक दर्द उठा आँखों में आँसू भर आए
बैठे बैठे हमें क्या जानिए क्या याद आया
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
Habib Jalib
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
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क्या बनाया है बुतों ने मुझ को
हम भी ज़रूर कहते किसी काम के लिए
हम रिंद-ए-परेशाँ हैं माह-ए-रमज़ाँ है
तुम्हारी ज़ुल्फ़ न गिर्दाब-ए-नाफ़ तक पहुँची
रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में
हुआ धूप में भी न कम हुस्न-ए-यार
ऐ सनम सब हैं तिरे हाथों से नालाँ आज-कल
अश्क-उफ़्तादा नज़र आते हैं सारे दरिया
नफ़्स नमरूद है क्या होना है
का'बे की सम्त सज्दा किया दिल को छोड़ कर
वाइ'ज़ के मैं ज़रूर डराने से डर गया
तू अपने पाँव की मेहंदी छुड़ा के दे ऐ महर