नदी Poetry (page 26)

रात भर कोई न दरवाज़ा खुला

इक़बाल नवेद

बख़्शे न गए एक को बख़्शा न कभी

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

जो ज़ख़्म जम्अ किए आँख-भर सुनाता हूँ

इक़बाल कौसर

क़ैद-ए-कौन-ओ-मकान से निकला

इक़बाल अासिफ़

प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है

इक़बाल अशहर

ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई

इक़बाल अशहर

तमाशाई बने रहिए तमाशा देखते रहिए

इक़बाल अशहर

रास्ता भूल गया एक सितारा अपना

इक़बाल अशहर

रात का पिछ्ला पहर कैसी निशानी दे गया

इक़बाल अशहर

प्यास के बेदार होने का कोई रस्ता न था

इक़बाल अशहर

प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है

इक़बाल अशहर

दूर तक बस ख़ून के ठहरे हुए दरिया मिले

इंतिख़ाब सय्यद

दिल की राहों से दबे पाँव गुज़रने वाला

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

ये शफ़क़ चाँद सितारे नहीं अच्छे लगते

इन्दिरा वर्मा

तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है

इन्दिरा वर्मा

लिक्खेंगे न इस हार के अस्बाब कहाँ तक

इनाम-उल-हक़ जावेद

ये मोहब्बत भी एक नेकी है

इनाम नदीम

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

इनाम नदीम

रास्ते जिस तरफ़ बुलाते हैं

इनाम नदीम

पड़ता था इस ख़याल का साया यहीं कहीं

इनाम नदीम

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

इनाम नदीम

ये रंग बे-रंग सारे मंज़र हैं एक जैसे

इनाम कबीर

जुदा हो कर समुंदर से किनारा क्या बनेगा

इनआम आज़मी

वो संगलाख़ ज़मीनों में शेर कहता था

इम्तियाज़ साग़र

अजब उलझन है जो समझा नहीं हूँ

इम्तियाज़ अली गौहर

तेरी याद

इमरान शनावर

जल कर जिस ने जल को देखा

इमरान शमशाद

मैं अपनी हैसियत से कुछ ज़ियादा ले के आया हूँ

इमरान साग़र

आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया

इमरान हुसैन आज़ाद

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