धूप Poetry (page 31)

बरखा-रुत

अल्ताफ़ हुसैन हाली

दिल पर किसी की बात का ऐसा असर न था

आलोक मिश्रा

आँखों का पूरा शहर ही सैलाब कर गया

आलोक मिश्रा

ग़मों की धूप में जलता हूँ मिस्ल-ए-सहरा मैं

अली वजदान

इक सुब्ह है जो हुई नहीं है

अली सरदार जाफ़री

चरवाहे का जवाब

अली अकबर नातिक़

क़ैद-ख़ाने की हवा में शोर है आलाम का

अली अकबर नातिक़

हवा के तख़्त पर अगर तमाम उम्र तू रहा

अली अकबर नातिक़

ग़ुंचा ग़ुंचा हँस रहा था, पती पत्ती रो गया

अली अकबर नातिक़

हिज्र बना आज़ार सफ़र कैसे कटता

अली अकबर मंसूर

नज़्म तकमील

अलीना इतरत

ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली मैं ने

अलीना इतरत

ये किस मुहिम पर चले थे हम जिस में रास्ते पुर-ख़तर न आए

अलीना इतरत

मौसम-ए-गुल पर ख़िज़ाँ का ज़ोर चल जाता है क्यूँ

अलीना इतरत

गर्दिश-ए-मय का इस पर न होगा असर मस्त आँखों का जादू जिसे याद है

अलीम उस्मानी

अब जाम निगाहों के नशा क्यूँ नहीं देते

अलीम उस्मानी

हर मोड़ पे सफ़र था अजब बोलने न पाए

अलीम सबा नवेदी

वक़्त

अलीम दुर्रानी

बन के साहिल की निगाहों में तमाशा हम लोग

अलीम अफ़सर

ज़रा सी धूप ज़रा सी नमी के आने से

आलम ख़ुर्शीद

दश्त को ढूँडने निकलूँ तो जज़ीरा निकले

अकरम नक़्क़ाश

हिसार-ए-क़र्या-ए-खूँबार से निकलते हुए

अख्तर शुमार

राह-ए-वफ़ा में कोई हमें जानता न था

अख़तर शाहजहाँपुरी

तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है

अख़्तर सईद ख़ान

नैरंगी-ए-नशात-ए-तमन्ना अजीब है

अख़्तर सईद ख़ान

दिल की राहें ढूँडने जब हम चले

अख़्तर सईद ख़ान

अब दर्द का सूरज कभी ढलता ही नहीं है

अख्तर लख़नवी

दुनिया भी पेश आई बहुत बे-रुख़ी के साथ

अख़तर इमाम रिज़वी

विसाल

अख़्तर हुसैन जाफ़री

स्कूल

अख़्तर हुसैन जाफ़री

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