धुआं Poetry (page 9)

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शो'ला अयाँ न हो

रजब अली बेग सुरूर

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शोला अयाँ न हो

रजब अली बेग सुरूर

मियाँ के दोस्त

राजा मेहदी अली ख़ाँ

हमा-वक़्त जो मिरे साथ हैं ये उभरते डूबते साए से

रईस फ़रोग़

सख़्त वीराँ है जहाँ तेरे बाद

इरफ़ान अहमद

इक रिदा-ए-सब्ज़ की ख़्वाहिश बहुत महँगी पड़ी

इक़बाल साजिद

ये निगाह-ए-शर्म झुकी झुकी ये जबीन-ए-नाज़ धुआँ धुआँ

इक़बाल अज़ीम

क़ैद-ए-कौन-ओ-मकान से निकला

इक़बाल अासिफ़

हद्द-ए-निगाह शाम का मंज़र धुआँ धुआँ

इक़बाल अंजुम

यास-ओ-उमीद-ओ-शादी-ओ-ग़म ने धूम उठाई सीने में

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे छेड़ने को साक़ी ने दिया जो जाम उल्टा

इंशा अल्लाह ख़ान

अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच

इंशा अल्लाह ख़ान

टूटा फूटा सही एहसास-ए-अना है मुझ में

इंद्र सरूप श्रीवास्तवा

राज़-दाँ होते हैं वो घर अक्सर

इंद्र सराज़ी

बुझ जाएगा इक रोज़ तिरी याद का शोला

इनाम नदीम

दिल पर किसी पत्थर का निशाँ यूँ ही रहेगा

इनाम नदीम

उधर जो शख़्स भी आया उसे जवाब हुआ

इनाम कबीर

हर सम्त से उठता है धुआँ शहर के लोगो

इनाम हनफ़ी

अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा

इम्दाद इमाम असर

मर गए पर भी न हो बोझ किसी पर अपना

इमदाद अली बहर

ख़ुर्शीद फ़िराक़ में तपाँ है

इमदाद अली बहर

हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

आहों से होंगे गुम्बद-ए-हफ़्त-आसमाँ ख़राब

इमदाद अली बहर

है दिल-ए-सोज़ाँ में तूर उस की तजल्ली-गाह का

इमाम बख़्श नासिख़

दर्द की सारी तहें और सारे गुज़रे हादसे

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

सुन सुन के चुप हैं ताना-ए-अग़्यार क्या करें

इफ़तिख़ार अहमद फख्र

पत्थर के जिस्म मोम के चेहरे धुआँ धुआँ

इफ़्फ़त ज़र्रीं

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