दिल Poetry (page 207)

दिलों में आग लगाओ नवा-कशी ही करो

हसन नईम

चेहरे पे मोहर-ए-ग़म है ख़त-ओ-ख़ाल की तरह

हसन नईम

चेहरे पे मोहर-ए-ग़म है ख़त-ओ-ख़ाल की तरह

हसन नईम

बिछ्ड़ें तो शहर भर में किसी को पता न हो

हसन नईम

बयान-ए-शौक़ बना हर्फ़-ए-इज़्तिराब बना

हसन नईम

बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगे

हसन नईम

आँखों से टपके ओस तो जाँ में नमी रहे

हसन नईम

डाइरी में लिख के मेरे तज़्किरे रख छोड़ना

हसन नासिर

कोई ग़मगीं कोई ख़ुश हो कर सदा देता रहा

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

हर ज़ख़्म-ए-दिल से अंजुमन-आराई माँग लो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

बीते हुए लम्हों के जो गिरवीदा रहे हैं

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

आइनों से पहले भी रस्म-ए-ख़ुद-नुमाई थी

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

कितनी मुश्किल से बहला था ये क्या कर गई शाम

हसन कमाल

झुलसे बदन न सुलगें आँखें ऐसे हैं दिन-रात मिरे

हसन कमाल

बिसात दिल की भला क्या निगाह-ए-यार में है

हसन कमाल

अपनी वज्ह-ए-बर्बादी जानते हैं हम लेकिन क्या करें बयाँ लोगो

हसन कमाल

तिलिस्म-ए-आतिश-ए-ग़म आज़माने वाला हो

हसन जमील

नज़र में मंज़र-ए-रफ़्ता समा भी सकता है

हसन जमील

कोई दानाइयों को हेच जाने

हसन जमील

दश्त में फूल खिला रक्खा है

हसन जमील

उल्फ़त हो किसी की न मोहब्बत हो किसी की

हसन बरेलवी

क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी

हसन बरेलवी

जान अगर हो जान तो क्यूँ-कर न हो तुझ पर निसार

हसन बरेलवी

चोट जब दिल पर लगे फ़रियाद पैदा क्यूँ न हो

हसन बरेलवी

अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है

हसन बरेलवी

वो मुझ से बे-ख़बर हैं उन की आदत ही कुछ ऐसी है

हसन बरेलवी

वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब

हसन बरेलवी

उन का जल्वा नहीं देखा जाता

हसन बरेलवी

राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम

हसन बरेलवी

मिल गया दिल निकल गया मतलब

हसन बरेलवी

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