जान अगर हो जान तो क्यूँ-कर न हो तुझ पर निसार
दिल अगर हो दिल तिरी सूरत पे शैदा क्यूँ न हो
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
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हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो
जो ख़ास जल्वे थे उश्शाक़ की नज़र के लिए
जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए
हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला
जब मिरा महर जल्वा-गर होगा
एक कह कर जिस ने सुननी हो हज़ारों बातें
मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है
अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है
कुछ हसीनों की मोहब्बत भी बुरी होती है
आई क्या जी में तेग़-ए-क़ातिल के
छुप गया यार ख़ुद-नुमा हो कर