दिया Poetry (page 50)

ख़ार मतलूब जो होवे तो गुलिस्ताँ माँगूँ

हैदर अली आतिश

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

हैदर अली आतिश

है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

हैदर अली आतिश

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है

हैदर अली आतिश

ये दिल है मिरा या किसी कुटिया का दिया है

हफ़ीज़ ताईब

इक दर्द सा पहलू में मचलता है सर-ए-शाम

हफ़ीज़ ताईब

ये भी तो सोचिए कभी तन्हाई में ज़रा

हफ़ीज़ मेरठी

इस दीवाने दिल को देखो क्या शेवा अपनाए है

हफ़ीज़ मेरठी

बे-सहारों का इंतिज़ाम करो

हफ़ीज़ मेरठी

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात

हफ़ीज़ जौनपुरी

याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात

हफ़ीज़ जौनपुरी

सुन के मेरे इश्क़ की रूदाद को

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

क़ासिद ख़िलाफ़-ए-ख़त कहीं तेरा बयाँ न हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

मुँह मिरा एक एक तकता था

हफ़ीज़ जौनपुरी

दुनिया में यूँ तो हर कोई अपनी सी कर गया

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल में हैं वस्ल के अरमान बहुत

हफ़ीज़ जौनपुरी

अब तो नहीं आसरा किसी का

हफ़ीज़ जौनपुरी

मुझे तो इस ख़बर ने खो दिया है

हफ़ीज़ जालंधरी

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

हफ़ीज़ जालंधरी

इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था

हफ़ीज़ जालंधरी

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हफ़ीज़ जालंधरी

देखा न कारोबार-ए-मोहब्बत कभी 'हफ़ीज़'

हफ़ीज़ जालंधरी

सख़्त-गीर आक़ा

हफ़ीज़ जालंधरी

ज़िंदगी का लुत्फ़ भी आ जाएगा

हफ़ीज़ जालंधरी

मज़हका आओ उड़ाएँ इश्क़-ए-बे-बुनियाद का

हफ़ीज़ जालंधरी

मजाज़ ऐन-ए-हक़ीक़त है बा-सफ़ा के लिए

हफ़ीज़ जालंधरी

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