दिया Poetry (page 49)

कैसा ग़ज़ब ये ऐ दिल-ए-पुर-जोश कर दिया

हमीद जालंधरी

रख दिया है मिरी दहलीज़ पे पत्थर किस ने

हमीद अलमास

हर्फ़-ए-ग़ज़ल से रंग-ए-तमन्ना भी छीन ले

हमीद अलमास

ज़रा सोचो तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ है

हमदम कशमीरी

ज़बाँ के साथ यहाँ ज़ाइक़ा भी रक्खा है

हमदम कशमीरी

चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

घर में जो इक चराग़ था तुम ने उसे बुझा दिया

हकीम नासिर

दो घड़ी दर्द ने आँखों में भी रहने न दिया

हकीम नासिर

इस राह-ए-मोहब्बत में तो आज़ार मिले हैं

हकीम नासिर

हाए वो वक़्त-ए-जुदाई के हमारे आँसू

हकीम नासिर

ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए

हकीम नासिर

आँखों ने हाल कह दिया होंट न फिर हिला सके

हकीम नासिर

कुछ समझ आया न आया मैं ने सोचा है उसे

हकीम मंज़ूर

कब इस ज़मीं की सम्त समुंदर पलट कर आए

हकीम मंज़ूर

आगे पीछे उस का अपना साया लहराता रहा

हकीम मंज़ूर

हँस हँस के अपना दामन-ए-रंगीं दिया मुझे

हैरत गोंडवी

हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए

हैरत गोंडवी

हुस्न भी है पनाह में इश्क़ भी है पनाह में

हैरत गोंडवी

'हैरत' के दिल पे वार किया हाए क्या किया

हैरत गोंडवी

होता फ़नकार-ए-जदीद और न शाएर होता

हैदर अली जाफ़री

अस्र-ए-जदीद आया बड़ी धूम-धाम से

हैदर अली जाफ़री

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

हैदर अली आतिश

कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा

हैदर अली आतिश

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

हैदर अली आतिश

क़द-ए-सनम सा अगर आफ़रीदा होना था

हैदर अली आतिश

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

हैदर अली आतिश

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

हैदर अली आतिश

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