दुश्मन Poetry (page 17)

उम्र भर एक सी उलझन तो नहीं बन सकते

फ़े सीन एजाज़

घर की मुश्किल कोई हल चाहती है

फ़े सीन एजाज़

अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है

फ़े सीन एजाज़

हम वफ़ादार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों

फ़रताश सय्यद

कभी बे-नियाज़-ए-मख़्ज़न कभी दुश्मन-ए-किनारा

फ़ारूक़ बाँसपारी

दिल नहीं मिलने का फिर मेरा सितमगर टूट कर

फ़रोग़ हैदराबादी

चाँदनी ने रात का मौसम जवाँ जैसे किया

फ़ारिग़ बुख़ारी

चाँदनी ने रात का मौसम जवाँ जैसे किया

फ़ारिग़ बुख़ारी

अगर मैं चीख़ूँ

फ़रहत एहसास

जिस दिन से कोई ख़्वाहिश-ए-दुनिया नहीं रखता

फ़राग़ रोहवी

मोहताज-ए-अजल क्यूँ है ख़ुद अपनी क़ज़ा हो जा

फ़ानी बदायुनी

लुत्फ़ ओ करम के पुतले हो अब क़हर ओ सितम का नाम नहीं

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर

फ़ानी बदायुनी

बे-ख़ुदी पे था 'फ़ानी' कुछ न इख़्तियार अपना

फ़ानी बदायुनी

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

फ़ना निज़ामी कानपुरी

एक मुद्दत से सर-ए-बाम वो आया भी नहीं

फ़ैज़ुल हसन

तमाम हुस्न-ओ-मआ'नी का रंग उड़ने लगा

फ़ैज़ ख़लीलाबादी

ज़िंदाँ की एक सुब्ह

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तुम ये कहते हो अब कोई चारा नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मुलाक़ात मिरी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

'शोपीं' का नग़्मा बजता है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कुछ पहले इन आँखों आगे क्या क्या न नज़ारा गुज़रे था

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सब की ज़बाँ ठहरी है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

उस ने देखा जो मुझे आलम-ए-हैरानी में

फ़ैसल अजमी

जाप

फ़हमीदा रियाज़

चार-सू है बड़ी वहशत का समाँ

फ़हमीदा रियाज़

राह-रौ बच के चल दरख़्तों से

एजाज़ वारसी

ना-सज़ा आलम-ए-इम्काँ में सज़ा लगता है

एजाज़ सिद्दीक़ी

ज़ालिम से मुस्तफ़ा का अमल चाहते हैं लोग

एजाज़ रहमानी

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