फ़िराक़ Poetry (page 7)

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

हीरा लाल फ़लक देहलवी

पैहम दिया प्याला-ए-मय बरमला दिया

हसरत मोहानी

दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर न हुई

हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

दामन है मेरा दश्त का दामान दूसरा

हसरत अज़ीमाबादी

क्या फ़िराक़ ओ फ़ैज़ से लेना था मुझ को ऐ 'नईम'

हसन नईम

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे

हसन नईम

आँखों से टपके ओस तो जाँ में नमी रहे

हसन नईम

वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब

हसन बरेलवी

उस का फ़िराक़ इतना बड़ा सानेहा न था

हसन अब्बास रज़ा

शब की शब महफ़िल में कोई ख़ुश-कलाम आया तो क्या

हसन अब्बास रज़ा

मैं तलाश में किसी और की मुझे ढूँढता कोई और है

हसन अब्बास रज़ा

कल शब क़सम ख़ुदा की बहुत डर लगा हमें

हसन अब्बास रज़ा

ये क्या ख़बर थी कि जब तुम से दोस्ती होगी

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

कुछ बात ही थी ऐसी कि थामे जिगर गए

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

हैरत इलाहाबादी

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

हैदर अली आतिश

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

लख़्त-ए-जिगर को क्यूँकर मिज़्गान-ए-तर सँभाले

हैदर अली आतिश

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हैदर अली आतिश

है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का

हैदर अली आतिश

फ़र्त-ए-शौक़ उस बुत के कूचे में लगा ले जाएगा

हैदर अली आतिश

चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया

हैदर अली आतिश

बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

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