गाय Poetry (page 5)

माँग लेना सिला तो जाएज़ है

रख़्शंदा नवेद

कोई ख़्वाब ख़्वाब सा फ़ासला

राजेन्द्र मनचंदा बानी

हाथ हमारे सब से ऊँचे हाथों ही से गिला भी है

रईस फ़रोग़

सुब्ह-ए-नौ हम तो तिरे साथ नुमायाँ होंगे

रईस अमरोहवी

शिकवा करने से कोई शख़्स ख़फ़ा होता है

रईस अमरोहवी

कभी किसी से न हम ने कोई गिला रक्खा

इरफ़ान सत्तार

अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है

इरफ़ान सत्तार

उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में

इक़बाल सुहैल

दुनिया ने ज़र के वास्ते क्या कुछ नहीं किया

इक़बाल साजिद

साहब के हर्ज़ा-पन से हर एक को गिला है

इंशा अल्लाह ख़ान

तिरी फ़ुज़ूल बंदगी बना न दे ख़ुदा मुझे

इम्तियाज़ अहमद

हमारी मोहब्बत नुमू से निकल कर कली बन गई थी मगर थी नुमू में

इमरान शमशाद

करता है ऐ 'असर' दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता का गिला

इम्दाद इमाम असर

तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ

इम्दाद इमाम असर

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का

इमदाद अली बहर

ये बहार वो है जहाँ रही असर-ए-ख़िज़ाँ से बरी रही

इलियास इश्क़ी

तू तो उन का भी गिला करता है जो तेरे न थे

इफ़्तिख़ार नसीम

ग़ैर हो कोई तो उस से खुल के बातें कीजिए

इफ़्तिख़ार नसीम

तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी

इफ़्तिख़ार नसीम

रात को बाहर अकेले घूमना अच्छा नहीं

इफ़्तिख़ार नसीम

कोई वजूद है दुनिया में कोई परछाईं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

करें तो किस से करें ना-रसाइयों का गिला

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रू-ब-रू उन के कोई हर्फ़ अदा क्या करते

इब्राहीम अश्क

अना ने टूट के कुछ फ़ैसला किया ही नहीं

इब्राहीम अश्क

शौक़ जब भी बंदगी का रहनुमा होता नहीं

इब्न-ए-मुफ़्ती

माहौल से जैसे कि घुटन होने लगी है

हुसैन ताज रिज़वी

रास्ता देर तक सोचता रह गया

हिलाल फ़रीद

तुझ से गरवीदा यक ज़माना रहा

हसरत मोहानी

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