गुलिस्ताँ Poetry (page 11)

हुस्न और मौत

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शाख़ पर ख़ून-ए-गुल रवाँ है वही

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फिर लौटा है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब सफ़र से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ग़म-ब-दिल शुक्र-ब-लब मस्त ओ ग़ज़ल-ख़्वाँ चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

निगाह-ए-बाग़बाँ कुछ मेहरबाँ मा'लूम होती है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

आज दिल है कि सर-ए-शाम बुझा लगता है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

मदावा-ए-जुनूँ सैर-ए-गुलिस्ताँ से नहीं होता

एजाज़ वारसी

मिल सकेगी अब भी दाद-ए-आबला-पाई तो क्या

एजाज़ सिद्दीक़ी

ख़याल के फूल खिल रहे हैं बहार के गीत गा रहा हूँ

एहसान दरबंगावी

रानाई-ए-कौनैन से बे-ज़ार हमीं थे

एहसान दानिश

इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दिया

एहसान दानिश

जब कोई ज़ख़्म उभरता है किनारों जैसा

दिलदार हाश्मी

तरही ग़ज़ल

दिलावर फ़िगार

लम्हा लम्हा वुसअत-ए-कौन-ओ-मकाँ की सैर की

दिलावर अली आज़र

सारे नुक़ूश जिस पे तिरे आशियाँ के हैं

दिल अय्यूबी

फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा

दत्तात्रिया कैफ़ी

कब ख़मोशी को मोहब्बत की ज़बाँ समझा था मैं

दर्शन सिंह

लोग जिन को आज तक बार-ए-गराँ समझा किए

डी. राज कँवल

दिलकशी नाम को भी आलम-ए-इम्काँ में नहीं

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

आरज़ूएँ नज़्र-ए-दौराँ नज़्र-ए-जानाँ हो गईं

बिर्ज लाल रअना

मातम-कदा बना है गुलिस्ताँ तिरे बग़ैर

बिल्क़ीस बेगम

आँखों से कभी कूचा-ए-जानाँ नहीं देखा

बिल्क़ीस बेगम

होना ही क्या ज़रूर थे ये दो-जहाँ हैं क्यूँ

बहज़ाद लखनवी

पर्दे उठे हुए भी हैं उन की इधर नज़र भी है

बेदम शाह वारसी

बरहमन मुझ को बनाना न मुसलमाँ करना

बेदम शाह वारसी

ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

पर्दा उलट के उस ने जो चेहरा दिखा दिया

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

रस्म-ए-सज्दा भी उठा दी हम ने

बाक़ी सिद्दीक़ी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.