गुलशन Poetry (page 10)

हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है

इमदाद अली बहर

दम-ए-मर्ग बालीं पर आया तो होता

इमदाद अली बहर

चुराने को चुरा लाया मैं जल्वे रू-ए-रौशन से

इज्तिबा रिज़वी

ये वस्ल की रुत है कि जुदाई का है मौसम

इफ़्तिख़ार राग़िब

छोड़ा न मुझे दिल ने मिरी जान कहीं का

इफ़्तिख़ार राग़िब

अंदाज़-ए-सितम उन का निहायत ही अलग है

इफ़्तिख़ार राग़िब

रौशन दिल वालों के नाम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

लबों पर प्यास हो तो आस के बादल भरे रखियो

इब्राहीम अश्क

दिन रात तुम्हारी यादों से हम ज़ख़्म सँवारा करते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

अपना घर फिर अपना घर है अपने घर की बात क्या

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

साक़िया ये जो तुझ को घेरे हैं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या गुल खिलाए देखिए तपती हुई हवा

हज़ीं लुधियानवी

मेरे ही दिल के सताने को ग़म आया सीधा

हातिम अली मेहर

गुज़रा अपना पस-ए-मुर्दन ही सही

हातिम अली मेहर

ये ख़ाकी आग से हो कर यहाँ पे पहुँचा है

हस्सान अहमद आवान

दरिया की तरफ़ देख लो इक बार मिरे यार

हस्सान अहमद आवान

रू-ए-ज़ेबा नज़र नहीं आता

हसरत शरवानी

फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल

हसरत अज़ीमाबादी

न छुटा हाथ से यक लहज़ा गरेबाँ मेरा

हसरत अज़ीमाबादी

जान कर कहता है हम से अपने जाने की ख़बर

हसरत अज़ीमाबादी

ज़र्द मौसम में भी इक शाख़ हरी रहती है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ये उस की मर्ज़ी कि मैं उस का इंतिख़ाब न था

हाशिम रज़ा जलालपुरी

यही तो ग़म है वो शाइ'र न वो सियाना था

हसन नईम

दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है

हसन नईम

हम को इस की क्या ख़बर गुलशन का गुलशन जल गया

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

लोग सुब्ह ओ शाम की नैरंगियाँ देखा किए

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

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