गुलशन Poetry (page 11)

राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम

हसन बरेलवी

'हबीब-जालिब'

हसन आबिदी

ना-तवाँ वो हूँ कि दम भर नहीं बैठा जाता

हक़ीर

बहार आई है सदमे से हमारा हाल अबतर है

हक़ीर

आह-ओ-फ़रियाद से मा'मूर चमन है कि जो था

हनीफ़ फ़ौक़

घूम रहे हैं आँगन आँगन चाँद हवा और मैं

हामिद यज़दानी

इक रोज़ जो गुलशन में वो जान-ए-बहार आए

हामिद इलाहाबादी

बे-कराँ दरिया हूँ ग़म का और तुग़्यानी में हूँ

हमीद नसीम

भूली नहीं उजड़े हुए गुलशन की बहारें

हमीद जालंधरी

कल शाम लब-ए-बाम जो वो जल्वा-नुमा था

हमीद जालंधरी

फिर किसी याद का दरवाज़ा खुला आहिस्ता

हमीद अलमास

हर्फ़-ए-ग़ज़ल से रंग-ए-तमन्ना भी छीन ले

हमीद अलमास

बुलबुल को फिर चमन में लगा लाई बू-ए-गुल

हकीम सय्यद मोहम्मद ग़ाज़ीपुरी

बाद-ए-सरसर है नसीम-ए-गुलिस्ताँ मेरे लिए

हकीम मोहम्मद हुसैन अहक़र

मक़्सद-ए-हयात

हाजी लक़ लक़

बहिश्त-ए-बरीँ

हाजी लक़ लक़

होता फ़नकार-ए-जदीद और न शाएर होता

हैदर अली जाफ़री

मैं उस गुलशन का बुलबुल हूँ बहार आने नहीं पाती

हैदर अली आतिश

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

हैदर अली आतिश

पिसे दिल उस की चितवन पर हज़ारों

हैदर अली आतिश

लिबास-ए-यार को मैं पारा-पारा क्या करता

हैदर अली आतिश

लख़्त-ए-जिगर को क्यूँकर मिज़्गान-ए-तर सँभाले

हैदर अली आतिश

ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का

हैदर अली आतिश

फ़र्त-ए-शौक़ उस बुत के कूचे में लगा ले जाएगा

हैदर अली आतिश

दीवानगी ने क्या क्या आलम दिखा दिए हैं

हैदर अली आतिश

आज यूँ दर्द तिरा दिल के उफ़ुक़ पर चमका

हाफ़िज़ लुधियानवी

मिरे ऐबों की इस्लाहें हुआ कीं बहस-ए-दुश्मन से

हफ़ीज़ जौनपुरी

रक़्क़ासा

हफ़ीज़ जालंधरी

वो अब्र जो मय-ख़्वार की तुर्बत पे न बरसे

हफ़ीज़ जालंधरी

मज़हका आओ उड़ाएँ इश्क़-ए-बे-बुनियाद का

हफ़ीज़ जालंधरी

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