हुआ Poetry (page 122)

ख़ूब-रूयों से यारियाँ न गईं

हसरत मोहानी

कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ

हसरत मोहानी

दिल में क्या क्या हवस-ए-दीद बढ़ाई न गई

हसरत मोहानी

बुत-ए-बे-दर्द का ग़म मोनिस-ए-हिज्राँ निकला

हसरत मोहानी

बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा

हसरत मोहानी

ये कौन आ गई दिल-रुबा महकी महकी

हसरत जयपुरी

मोहब्बत एक तरह की निरी समाजत है

हसरत अज़ीमाबादी

बुरा न माने तो इक बात पूछता हूँ मैं

हसरत अज़ीमाबादी

राह-रस्ते में तू यूँ रहता है आ कर हम से मिल

हसरत अज़ीमाबादी

फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल

हसरत अज़ीमाबादी

न ग़रज़ नंग से रखते हैं न कुछ नाम से काम

हसरत अज़ीमाबादी

जिस का मयस्सर न था भर के नज़र देखना

हसरत अज़ीमाबादी

हम इश्क़ सिवा कम हैं किसी नाम से वाक़िफ़

हसरत अज़ीमाबादी

बे-वफ़ा गो मिले न तू मुझ को

हसरत अज़ीमाबादी

अज़ीज़ो तुम न कुछ उस को कहो हुआ सो हुआ

हसरत अज़ीमाबादी

खोए हुए पलों की कोई बात भी तो हो

हसनैन आक़िब

दानाइयाँ अटक गईं लफ़्ज़ों के जाल में

हसनैन आक़िब

गरेबाँ चाक, धुआँ, जाम, हाथ में सिगरेट

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ज़र्द मौसम में भी इक शाख़ हरी रहती है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

विसाल-ओ-हिज्र के जंजाल में पड़ा हुआ हूँ

हाशिम रज़ा जलालपुरी

तू नहीं है तो तिरे हमनाम से रिश्ता रक्खा

हाशिम रज़ा जलालपुरी

परिंदा क़ैद में कुल आसमान भूल गया

हाशिम रज़ा जलालपुरी

मज़हब-ए-इश्क़ में शजरा नहीं देखा जाता

हाशिम रज़ा जलालपुरी

हादिसा इश्क़ में दरपेश हुआ चाहता है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

जो भी यहाँ हुआ वो बहुत ही बुरा हुआ

हसीर नूरी

शौक़ से आप ये अंग्रेज़ी दवा भी लेते

हसीब सोज़

ख़ुद को इतना जो हवा-दार समझ रक्खा है

हसीब सोज़

जीना मुझे कठिन हो कि मरना मुहाल हो

हसन सोज़

उस की आँखें हरे समुंदर उस की बातें बर्फ़

हसन रिज़वी

तमाम शोबदे उस के कमाल उस के हैं

हसन रिज़वी

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