बुरा न माने तो इक बात पूछता हूँ मैं
किसी का दिल कभी तुझ से भी ख़ुश हुआ हरगिज़
Habib Jalib
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(914) Peoples Rate This
मेरी उस प्यारी झब से आँख लगी
इस जहाँ में सिफ़त-ए-इश्क़ से मौसूफ़ हैं हम
रहे है नक़्श मेरे चश्म-ओ-दिल पर यूँ तिरी सूरत
या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद
आश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ
साक़िया पैहम पिला दे मुझ को माला-माल जाम
ज़ुल्फ़-ए-कलमूँही को प्यारे इतना भी सर मत चढ़ा
कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल
भर के नज़र यार न देखा कभी
आता हूँ जब उस गली से सौ सौ ख़्वारी खींच कर
गर इश्क़ से वाक़िफ़ मरे महबूब न होता
जिस का मयस्सर न था भर के नज़र देखना