जगह Poetry (page 19)

हवा के रुख़ पे रह-ए-ए'तिबार में रक्खा

अय्यूब ख़ावर

आइने से गुज़रने वाला था

औरंगज़ेब

ख़्वाहिशें दुनिया की बार-ए-दोश-ओ-गर्दन हो गईं

औज लखनवी

मैं जो ठहरा ठहरता चला जाऊँगा

अतीक़ुल्लाह

कीसा-ए-दरवेश में जो भी है ज़र उतना ही है

अतीक़ुल्लाह

दिल के नज़दीक तो साया भी नहीं है कोई

अतीक़ुल्लाह

तीरगी शम्अ बनी राहगुज़र में आई

अता आबिदी

तिफ़्ली के ख़्वाब

असरार-उल-हक़ मजाज़

ख़िज़ाँ का मौसम

असरा रिज़वी

सिर्फ़ मेरे लिए नहीं रहना

असलम कोलसरी

किसी की याद का साया था या कि झोंका था

असलम हबीब

नर्म आवाज़ों के बीच

असलम इमादी

ख़ुश्क रुत में इस जगह हम ने बनाया था मकान

आसिम वास्ती

मिस्र फ़िरऔन की तहवील में आया हुआ है

आसिम वास्ती

होंटों को फूल आँख को बादा नहीं कहा

आसिम वास्ती

हर तरफ़ हद्द-ए-नज़र तक सिलसिला पानी का है

आसिम वास्ती

ग़ैर पर लुत्फ़ करे हम पे सितम या क़िस्मत

आसिफ़ुद्दौला

ऐ मिरे दिल बता ख़्वाब बुनता है क्यूँ

अासिफ़ा ज़मानी

ज़मीं कहीं है मिरी और आसमान कहीं

अासिफ़ शफ़ी

शम्-ए-इख़्लास-ओ-यक़ीं दिल में जला कर चलिए

अशोक साहनी

मेरे उस के दरमियाँ ये फ़ासला अपनी जगह है

अशअर नजमी

आए थे घर में आग लगाने शरीर लोग

असग़र मेहदी होश

रिंद जो ज़र्फ़ उठा लें वही साग़र बन जाए

असग़र गोंडवी

हर इक जगह तिरी बर्क़-ए-निगाह दौड़ गई

असग़र गोंडवी

न ये शीशा न ये साग़र न ये पैमाना बने

असग़र गोंडवी

जो नक़्श है हस्ती का धोका नज़र आता है

असग़र गोंडवी

वो जो नहीं हैं बज़्म में बज़्म की शान भी नहीं

असर रामपुरी

बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से

आरज़ू लखनवी

क्यूँ किसी रह-रौ से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता

आरज़ू लखनवी

किसी गुमान-ओ-यक़ीं की हद में वो शोख़-ए-पर्दा-नशीं नहीं है

आरज़ू लखनवी

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