चलो चलें Poetry (page 38)

आ के वो मुझ ख़स्ता-जाँ पर यूँ करम फ़रमा गया

हमीद जालंधरी

हुआ है सामने आँखों के ख़ानदाँ आबाद

हमदम कशमीरी

मरीज़-ए-इश्क़ की जुज़-मर्ग दुनिया में दवा क्यूँ हो

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

बाद-ए-सरसर है नसीम-ए-गुलिस्ताँ मेरे लिए

हकीम मोहम्मद हुसैन अहक़र

आगे पीछे उस का अपना साया लहराता रहा

हकीम मंज़ूर

मक़्सद-ए-हयात

हाजी लक़ लक़

क्या उन को दिल का हाल सुनाने से फ़ाएदा

हाजी लक़ लक़

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

हैरत इलाहाबादी

वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे

हैदर क़ुरैशी

वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे

हैदर क़ुरैशी

उस बला-ए-जाँ से 'आतिश' देखिए क्यूँकर बने

हैदर अली आतिश

आफ़त-ए-जाँ हुई उस रू-ए-किताबी की याद

हैदर अली आतिश

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

हैदर अली आतिश

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

तेरी जो याद ऐ दिल-ख़्वाह भूला

हैदर अली आतिश

तार-तार-ए-पैरहन में भर गई है बू-ए-दोस्त

हैदर अली आतिश

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

शब-ए-फ़ुर्क़त में यार-ए-जानी की

हैदर अली आतिश

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

हैदर अली आतिश

क़ुदरत-ए-हक़ है सबाहत से तमाशा है वो रुख़

हैदर अली आतिश

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

हैदर अली आतिश

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

हैदर अली आतिश

काबा ओ दैर में है किस के लिए दिल जाता

हैदर अली आतिश

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

हैदर अली आतिश

दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे

हैदर अली आतिश

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

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