जिन्न Poetry (page 31)

जज़्बा-ए-दिल को अमल में कभी लाओ तो सही

दर्शन सिंह

गुलों पे ख़ाक-ए-मेहन के सिवा कुछ और नहीं

दर्शन सिंह

उन के मिलने का ब-ज़ाहिर तो यक़ीं कोई नहीं

दामोदर ठाकुर ज़की

क्या तर्ज़-ए-कलाम हो गई है

दाग़ देहलवी

किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा

डी. राज कँवल

काएनात-ए-आरज़ू में हम बसर करने लगे

चित्रांश खरे

अक़्ल हैरान है रहमत का तक़ाज़ा क्या है

चरख़ चिन्योटी

जंग

चन्द्रभान ख़याल

है मिरा ज़ब्त-ए-जुनूँ जोश-ए-जुनूँ से बढ़ कर

चकबस्त ब्रिज नारायण

उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है

चकबस्त ब्रिज नारायण

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

कौन समझे इश्क़ की दुश्वारियाँ

बिस्मिल सईदी

अब इश्क़ रहा न वो जुनूँ है

बिस्मिल सईदी

सहर हुई तो ख़यालों ने मुझ को घेर लिया

बिस्मिल साबरी

क़ाबिल-ए-शरह मिरा हाल-ए-दिल-ए-ज़ार न था

बिस्मिल इलाहाबादी

मिल चुका महफ़िल में अब लुत्फ़-ए-शकेबाई मुझे

बिस्मिल इलाहाबादी

क्या रौशनी-ए-हुस्न-ए-सबीह अंजुमन में है

बिशन नरायण दराबर

यूँ चुप रहा करे से तो हो जाए है जुनूँ

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

किस ने कहा किसी का कहा तुम किया करो

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

काँटे हों या फूल अकेले चुनना होगा

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

कब इक मक़ाम पे रुकती है सर-फिरी है हवा

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

एक ख़्वाब

बिलाल अहमद

शफ़क़ से बाम-ए-फ़लक लाला-गूँ भी होता है

बिलाल अहमद

जाम-ए-गदाई हाथ में ले नित सांज-सवेरे फिरते हैं

भूरे ख़ान आशुफ़्ता

आ गई सर पर क़ज़ा लो सारा सामाँ रह गया

भारतेंदु हरिश्चंद्र

मुस्तक़िल रोने से दिल की बे-कली बढ़ जाएगी

भारत भूषण पन्त

उधर वो हाथों के पत्थर बदलते रहते हैं

बेकल उत्साही

ख़ुद अपने जुर्म का मुजरिम को ए'तिराफ़ न था

बेकल उत्साही

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