ख़ामुशी Poetry (page 8)

हम से दीवानों को असरी आगही डसती रही

असद रज़ा

मिसाल-ए-शम्अ अपनी आग में क्या आप जल जाऊँ

आरज़ू लखनवी

ये दास्तान-ए-दिल है क्या हो अदा ज़बाँ से

आरज़ू लखनवी

वो बन कर बे-ज़बाँ लेने को बैठे हैं ज़बाँ मुझ से

आरज़ू लखनवी

अयाँ है बे-रुख़ी चितवन से और ग़ुस्सा निगाहों से

आरज़ू लखनवी

जब मैं उस आदमी से दूर हुआ

अरशद लतीफ़

तलातुम है न जाँ-लेवा भँवर है

अरशद कमाल

समुंदर से किसी लम्हे भी तुग़्यानी नहीं जाती

अरशद कमाल

ग़म की गर्मी से दिल पिघलते रहे

अर्श सिद्दीक़ी

उदासी एक लड़की है

अनवार फ़ितरत

उदासी एक लड़की है

अनवार फ़ितरत

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

एक दिन मेरी ख़ामुशी ने मुझे

अंजुम सलीमी

किस ने दी मुझ को सदा कौन-ओ-मकाँ के उस तरफ़

अंजुम नियाज़ी

कहो क्या मेहरबाँ ना-मेहरबाँ तक़दीर होती है

अंजुम ख़लीक़

लफ़्ज़ यूँ ख़ामुशी से लड़ते हैं

अनीस अब्र

ख़ामोशी का शहर

अनीस नागी

फ़िराक़-ए-यार में कुछ कहिए समझाया नहीं जाता

अनीस अहमद अनीस

आख़िरी बोसा

अमजद इस्लाम अमजद

वो सर-फिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे

अमीर क़ज़लबाश

यूँ मिरे होने को मुझ पर आश्कार उस ने किया

अमीर इमाम

ये कार-ए-ज़िंदगी था तो करना पड़ा मुझे

अमीर इमाम

कि जैसे कोई मुसाफ़िर वतन में लौट आए

अमीर इमाम

जुनून-ए-शौक़-ए-मोहब्बत की आगही देना

अलक़मा शिबली

मार्च 1907

अल्लामा इक़बाल

हिमाला

अल्लामा इक़बाल

गोरिस्तान-ए-शाही

अल्लामा इक़बाल

एक आरज़ू

अल्लामा इक़बाल

सदाओं के जंगल में वो ख़ामुशी है

अलीमुल्लाह हाली

सदाओं के जंगल में वो ख़ामुशी है

अलीमुल्लाह हाली

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