ख़ामुशी Poetry (page 2)

जहालत का मंज़र जो राहों में था

वकील अख़्तर

ज़िंदगी की हँसी उड़ाती हुई

विकास शर्मा राज़

जुनूँ की पैरवी से ख़ुश नहीं हूँ

विकास शर्मा राज़

तारी है हर तरफ़ जो ये आलम सुकूत का

उमर अंसारी

नज़र उठा दिल-ए-नादाँ ये जुस्तुजू क्या है

तिलोकचंद महरूम

उस के बदन का लम्स अभी उँगलियों में है

तारिक़ जामी

चार साल बा'द

तनवीर अंजुम

बस एक शय मिरे अंदर तमाम होती हुई

तालीफ़ हैदर

इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे

तहज़ीब हाफ़ी

उदासियों की रुत

तबस्सुम काश्मीरी

इस अहद की बे-हिस साअ'तों के नाम

तबस्सुम काश्मीरी

गा रहा हूँ ख़ामुशी में दर्द के नग़्मात मैं

सय्यद ज़मीर जाफ़री

इर्तिक़ा

सय्यद मुबारक शाह

मौत है ज़िंदगी ज़िंदगी मौत है

सय्यद मोहम्मद असकरी आरिफ़

रौशनी क्या पड़ी है कमरे में

सुनील आफ़ताब

हया भी आँख में वारफ़्तगी भी

सुलेमान ख़ुमार

तिरा दिल तो नहीं दिल की लगी हूँ

सुलैमान अरीब

इक रौशनी का ज़हर था जो आँख भर गया

सोहन राही

यहाँ रहने में दुश्वारी बहुत है

शोएब निज़ाम

वो रू-ब-रू हों तो ये कैफ़-ए-इज़्तिराब न हो

शिव दयाल सहाब

न जब तक दर्द-ए-इंसाँ से किसी को आगही होगी

शिव चरन दास गोयल ज़ब्त

बातों में ढूँडते हैं वो पहलू मलाल का

शेर सिंह नाज़ देहलवी

बातों में ढूँडते हैं वो पहलू मलाल का

शेर सिंह नाज़ देहलवी

याँ लब पे लाख लाख सुख़न इज़्तिराब में

ज़ौक़

शब-ए-वा'दा कह गई है शब-ए-ग़म दराज़ रखना

शाज़ तमकनत

शहर में इक क़त्ल की अफ़्वाह रौशन क्या हुई

शरीक़ अदील

तीन शामों की एक शाम

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

दूर तक फैली हुई है तीरगी बातें करो

शमीम रविश

कहानी में छोटा सा किरदार है

शकील जमाली

मुझे भूल जा

शकील बदायुनी

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