कोह Poetry (page 4)

छोड़ा न तुझे ने राम क्या ये भी न हुआ वो भी न हुआ

शाह नसीर

क़ौल उस दरोग़-गो का कोई भी सच हुआ है

शाद लखनवी

ख़ुदा ही उस चुप की दाद देगा कि तुर्बतें रौंदे डालते हैं

शाद लखनवी

कहते हैं नाला-ए-हज़ीं सुन के

शाद लखनवी

इश्क़ में ज़ोर उम्र-भर मारा

शाद लखनवी

काम आई कोहकन की मशक़्क़त न इश्क़ में

मोहम्मद रफ़ी सौदा

हर संग में शरार है तेरे ज़ुहूर का

मोहम्मद रफ़ी सौदा

हर संग में शरार है तेरे ज़ुहूर का

मोहम्मद रफ़ी सौदा

दिलदार उस को ख़्वाह दिल-आज़ार कुछ कहो

मोहम्मद रफ़ी सौदा

अपने का है गुनाह बेगाने ने क्या किया

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ऐ दीदा ख़ानुमाँ तू हमारा डुबो सका

मोहम्मद रफ़ी सौदा

आदम का जिस्म जब कि अनासिर से मिल बना

मोहम्मद रफ़ी सौदा

सवाल-अंदर-सवाल ले कर कहाँ चले हो

सरवत ज़ेहरा

उम्र का कोह-ए-गिराँ और शब-ओ-रोज़ मिरे

सरवत हुसैन

उसी किनारा-ए-हैरत-सरा को जाता हूँ

सरवत हुसैन

घर से निकला तो मुलाक़ात हुई पानी से

सरवत हुसैन

उन बुतों से रब्त तोड़ा चाहिए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

हम झुकाते भी कहाँ सर को क़ज़ा से पहले

सलमा शाहीन

सब थकन आँख में सिमट जाए

सलीम शाहिद

बे-वज़्अ शब-ओ-रोज़ की तस्वीर दिखा कर

सलीम शाहिद

कार्तिक

सलाहुद्दीन परवेज़

ना-ख़ुश जो हो गुल-बदन किसी का

सख़ी लख़नवी

है चमन में रहम गुलचीं को न कुछ सय्याद को

सख़ी लख़नवी

हर रंग हर आहंग मिरे सामने आजिज़

सज्जाद बाक़र रिज़वी

उस सादा-दिल से कुछ मुझे 'बाक़र' गिला न था

सज्जाद बाक़र रिज़वी

सोए हुओं में ख़्वाब से बेदार कौन है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

पूछो मुझे ऐ हम-नफ़साँ कौन हूँ क्या हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

तो यूँ कहो ना दिलों का शिकार करना है

सज्जाद बाबर

हमारी रूह का नग़्मा कहाँ है?

साजिदा ज़ैदी

पहेली

साइमा असमा

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