कोह Poetry (page 5)

पहले जो हम चले तो फ़क़त यार तक चले

साइम जी

इतने दुखी हैं हम को मसर्रत भी ग़म बने

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

लहु नज़्र दे रही है हयात

साहिर लुधियानवी

दश्त में क़ैस नहीं कोह पे फ़रहाद नहीं

साग़र निज़ामी

दिल्ली की लड़कियाँ

साग़र ख़य्यामी

क्रिकेट मैच

साग़र ख़य्यामी

जो बू-ए-ज़िंदगी मुझे किरन किरन से आई है

साबिर आफ़ाक़ी

ये क़ैस-ओ-कोहकन के से फ़साने बन गए कितने

रियाज़ ख़ैराबादी

जो हम आए तो बोतल क्यूँ अलग पीर-ए-मुग़ाँ रख दी

रियाज़ ख़ैराबादी

हम भी पिएँ तुम्हें भी पिलाएँ तमाम रात

रियाज़ ख़ैराबादी

गुल मुरक़्क़ा' हैं तिरे चाक गरेबानों के

रियाज़ ख़ैराबादी

नक़ाब-ए-रुख़ उठा कर हुस्न जब जल्वा-फ़िगन होगा

रिफ़अत सेठी

दौलत-ए-हर्फ़-ओ-बयाँ साथ लिए फिरते हैं

रिफ़अत सरोश

ख़्वाब-ए-दीदार न देखा हम ने

रविश सिद्दीक़ी

इश्क़ दुश्वार नहीं ख़ुश-नज़री मुश्किल है

रविश सिद्दीक़ी

बुत-गर है न कोई बुत-शिकन है

रविश सिद्दीक़ी

सुब्ह-नुशूर क्यूँ मिरी आँखों में नूर आ गया

रसूल साक़ी

अँधेरों में उजाले खो रहे हैं

रासिख़ इरफ़ानी

ज़िक्र-ए-तूफ़ाँ भी अबस है मुतमइन है दिल मिरा

रशीद शाहजहाँपुरी

मरते नहीं अब इश्क़ में यूँ तो आतिश-ए-फ़ुर्क़त अब भी वही है

राशिद आज़र

न छोड़ा दिल-ए-ख़स्ता-जाँ चलते चलते

रशीद लखनवी

गुज़िश्ता अहल-ए-सफ़र को जहाँ सुकून मिला

राम रियाज़

तमाम रास्ता फूलों भरा है मेरे लिए

राजेन्द्र मनचंदा बानी

करूँ शिकवा न क्यूँ चर्ख़-ए-कुहन से

रजब अली बेग सुरूर

रेत का शहर

रईस फ़रोग़

शिकवा करने से कोई शख़्स ख़फ़ा होता है

रईस अमरोहवी

मुक़र्रेबीन में रम्ज़-आशना कहाँ निकले

रईस अमरोहवी

नज़र नज़र में तमन्ना क़दम क़दम पे गुरेज़

इक़बाल माहिर

सुपुर्द-ए-ग़म-ज़दगान-ए-सफ़-ए-वफ़ा हुआ मैं

इक़बाल कौसर

खोए गए तो आइने को मो'तबर किया

इक़बाल हैदर

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