महबूब Poetry (page 3)

फिर वही कुंज-ए-क़फ़स

साहिर लुधियानवी

मिरे गीत

साहिर लुधियानवी

गो मसलक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा भी है कोई चीज़

साहिर लुधियानवी

पस-ए-रौशनी

साग़र ख़य्यामी

मिरा महबूब सब का मन हरन है

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़

नींद आई ही नहीं हम को न पूछो कब से

सदा अम्बालवी

फ़नकार

साबिर दत्त

हम ने ख़ाक-ए-दर-ए-महबूब जो चेहरे पे मली

सबा जायसी

हैं ये सारे जीते-जी के वास्ते

रिन्द लखनवी

रक़्स

रिफ़अत नाहीद

तुम्हीं बताओ वो कौन है जो हर एक लम्हा सता रहा है

रज़िया हलीम जंग

अश्क यूँ बहते हैं सावन की झड़ी हो जैसे

रज़ा हमदानी

आ तुझ को ख़याल में बसाऊँ

रज़ा हमदानी

वो बर्क़-ए-नाज़ गुरेज़ाँ नहीं तो कुछ भी नहीं

रविश सिद्दीक़ी

खुला ये उन के अंदाज़-ए-बयाँ से

रशीद रामपुरी

ख़ार-ओ-ख़स फेंके चमन के रास्ते जारी करे

रशीद लखनवी

कभी ग़ुंचा कभी शोला कभी शबनम की तरह

राना सहरी

दिल की धड़कन उलझ रही है ये कैसी सौग़ात ग़ज़ल की

रख़शां हाशमी

नई दुनिया

राजेन्द्र नाथ रहबर

ये शहर शहर-ए-बला भी है कीना-साज़ के साथ

रईस अमरोहवी

अज्नबिय्यत का हर इक रुख़ पे निशाँ है यारो

इक़बाल माहिर

मोहब्बत

इंजिला हमेश

मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है

इमदाद अली बहर

ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए

इमदाद अली बहर

सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की

इमाम बख़्श नासिख़

जान हम तुझ पे दिया करते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

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